सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार ने टिक-टॉक से मांगा जवाब
टिक टॉक (Photo Credits: Twitter)

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने विवादास्पद सोशल मीडिया ऐप टिक-टॉक और हेलो से सुरक्षा को लेकर जवाब तलब किया है. सरकार द्वारा पूछे गए सवालों की एक श्रृंखला में कहा गया है कि क्या ऐप्स भारत के भीतर डॉटा स्टोर करने पर विचार कर रहे हैं या नहीं? साथ ही इसमें यह भी पूछा गया है कि 8 साल से कम उम्र के यूजर्स को संभावित खतरनाक सामग्री के संपर्क में आने से रोकने के लिए कंपनियों द्वारा क्या कदम उठाए जा रहे हैं. सूत्रों के अनुसार यदि सोशल मीडिया ऐप्स को बैन होने से बचना है, तो उन्हें 22 जुलाई तक इस संबंध में अपना जवाब दाखिल करना होगा.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आर्थिक शाखा स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर आरोप लगाया कि इस प्रकार के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मो का इस्तेमाल राष्ट्रीय विरोधी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है, जिसके बाद बुधवार को एप संचालकों को नोटिस भेजा गया. आईटी मंत्रालय ने यह भी पूछा कि भारत के यूजर्स से संबंधित किस प्रकार का डॉटा इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मो के जरिए एकत्रित किया जा रहा है. हेलो ऐप पर आरोप है कि इसने अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 11 हजार मॉफ्र्ड (बदले हुए) राजनीतिक विज्ञापनों को डालने के लिए एक बड़ी राशि का भुगतान किया था, जिसके बाबत भी मंत्रालय ने स्पष्टीकरण मांगा है.

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18 वर्ष से कम आयु के बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक विशेष ध्यान दिया गया, जिसमें कंपनी से पूछा गया, "भारत में टिक-टॉक का इस्तेमाल करने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 13 रखने के पीछे क्या तर्क है? जबकि 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति को देश में बच्चा माना जाता है." टिक-टॉक ने ऐप का उपयोग करने से बच्चों को प्रतिबंधित करने के लिए 'ऐज-गेट' पेश किया. मंत्रालय ने पूछा कि क्या यह ऐज-गेट तंत्र 18 वर्ष से कम आयु के यूजर्स को भी प्रतिबंधित करता है.

कंपनी ने आईएएनएस के साथ एक बयान को साझा करते हुए कहा, "अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए सरकार के साथ पूर्ण सहयोग करने के अवसर का हम स्वागत करते हैं." इसमें आगे कहा गया है, "हमारे मजबूत बाजारों में से एक भारत है और हम 15 भारतीय भाषाओं में डिजिटल इंडिया के मेनफ्रेम का हिस्सा बनकर खुश हैं." इसी वर्ष अप्रैल माह में मद्रास उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में टिक-टॉक पर अनुचित और अश्लील सामग्री को लेकर प्रतिबंध लगा दिया था.