नीति आयोग के सदस्य की सलाह, नौ महीने का हो मातृत्व अवकाश

नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा है कि निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों को महिला कर्मचारियों के लिए मातृत्व अवकाश छह महीने से बढ़ाकर नौ महीने करने पर विचार करना चाहिए.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा है कि निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों को महिला कर्मचारियों के लिए मातृत्व अवकाश छह महीने से बढ़ाकर नौ महीने करने पर विचार करना चाहिए.भारत में मातृत्व लाभ (संशोधन) विधेयक, 2016 को 2017 में संसद द्वारा पारित किया गया था, जिसके तहत 12 सप्ताह के वैतनिक मातृत्व अवकाश को बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया था. इसका लाभ देश की लाखों कामकाजी महिलाओं को मिला. अब नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने इस अवकाश को और बढ़ाने को लेकर बयान दिया है.

फिक्की महिला संगठन (एफएलओ) ने पॉल के हवाले से एक बयान में कहा, "निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों को एक साथ बैठकर माताओं के मातृत्व अवकाश को छह महीने से बढ़ाकर नौ महीने करने के बारे में सोचने की जरूरत है."

बयान के मुताबिक, पॉल ने कहा कि निजी क्षेत्र को बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए अधिक क्रेच खोलकर बच्चों की व्यापक देखभाल करने के साथ-साथ बुजुर्गों की देखभाल के लिए आवश्यक कार्य करने में नीति आयोग की मदद करनी चाहिए.

पॉल ने कहा, "चूंकि भविष्य में लाखों देखभाल कर्मियों की जरूरत होगी, इसलिए हमें व्यवस्थित सॉफ्ट और हार्ड स्किलिंग ट्रेनिंग विकसित करना होगा."

फिक्की महिला संगठन की अध्यक्ष सुधा शिवकुमार का कहना है, "वैश्विक देखभाल अर्थव्यवस्था जिनमें बच्चों की देखभाल, बुजुर्गों की देखभाल और घरेलू कामों जैसे देखभाल शामिल हैं भुगतान और अवैतनिक श्रम की दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं. ये आर्थिक विकास, लिंग समानता और महिला सशक्तिकरण के मामले में अहम हैं."

शिवकुमार ने आगे कहा, "भारत में सबसे बड़ी कमी यह है कि हमारे पास श्रमिकों की ठीक से पहचान करने के लिए एक प्रणाली की कमी है और अन्य देशों के मुकाबले, देखभाल अर्थव्यवस्था पर भारत का सार्वजनिक खर्च बेहद कम है."

बीते सालों में भारत में कामकाजी महिलाओं की संख्या में काफी कमी आई है. विश्व बैंक के मुताबिक, "भारत में औपचारिक और अनौपचारिक कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी साल 2005 में 27 फीसदी थी लेकिन 2021 में यह घटकर 23 फीसद ही रह गई.”

2018 में हुए सर्वेक्षण के मुताबिक, कार्यक्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी के मामले में 131 देशों की सूची में भारत का 120वां स्थान था.

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में कार्यक्षेत्र में महिलाओं की कमी के पीछे कई कारण हैं जिनमें बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी, शादी के बाद घर की देखभाल, स्किल्स की कमी, शैक्षणिक व्यवधान और नौकरियों की कमी शामिल हैं.

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