मैनपुरी (उप्र), 11 दिसंबर मैनपुरी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में हाल में हुए उपचुनाव में सपा उम्मीदवार डिंपल यादव को प्रचंड जीत दिलाने के लिए वोट बटोरने के मामले में शिवपाल सिंह यादव के जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के करहल क्षेत्र को पीछे छोड़ दिया. समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के कारण इस सीट पर उपचुनाव हुआ. यह भी पढ़ें: तेलंगाना में शादी से कुछ घंटे पहले लड़की ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, सदमे में परिवार
निर्वाचन आयोग द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों के अनुसार सपा उम्मीदवार डिंपल यादव को जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के रघुराज सिंह शाक्य से 1.06 लाख अधिक वोट मिले, जबकि करहल में मतों का अंतर 75,462 था.
हाल ही में हुए मैनपुरी उपचुनाव में सपा प्रत्याशी ने शाक्य को 2.88 लाख से अधिक मतों के भारी अंतर से हराया. पिछले 10 अक्टूबर को मुलायम सिंह यादव के निधन के कारण मैनपुरी चुनाव में मध्यावधि चुनाव जरूरी हो गया था, जहां पांच दिसंबर को मतदान और आठ दिसंबर को मतगणना हुई.
मुलायम सिंह यादव सपा उम्मीदवार डिंपल के ससुर थे। उपचुनाव में प्रचार के दौरान डिंपल यादव के पति और सपा प्रमुख अखिलेश यादव अक्सर अपनी सभाओं में कहते थे कि करहल और जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्रों के बीच एक मुकाबला है कि कौन पार्टी को अधिक वोट देता है.
डिंपल यादव ने मैनपुरी संसदीय क्षेत्र में आने वाले सभी पांच विधानसभा क्षेत्रों - मैनपुरी, करहल, किशनी (एससी), भोगांव, और जसवंतनगर (इटावा) में प्रतिद्वंद्वी से आगे रहीं। उन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाले शाक्य जाति के मतदाताओं के वर्चस्व वाले भोगांव विधानसभा क्षेत्र में भी अपने प्रतिद्वंद्वी शाक्य को पीछे छोड़ दिया.
वर्ष 2019 के आम चुनाव में अपने ससुर की जीत की तुलना में वह बहुत बड़े अंतर से चुनाव जीतीं. मुलायम सिंह यादव ने अपना आखिरी लोकसभा चुनाव 2019 में मैनपुरी से 94,389 मतों के अंतर से जीता था और तब वह सपा-बसपा गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार थे.
जसवंतनगर और करहल विधानसभा क्षेत्रों से सबसे अधिक वोट पाने वाली डिंपल यादव की तरह मुलायम सिंह यादव को भी करहल (1,18,133) और जसवंतनगर (1,37,407) से सबसे अधिक वोट मिले थे.
मुलायम पिछले संसदीय चुनाव में भोगांव से पिछड़ गए थे. लेकिन डिंपल यादव ने मैनपुरी संसदीय क्षेत्र के पांच विधानसभा क्षेत्रों में चार मैनपुरी (1,05,795), किशनी (1,07,150), करहल (1,40,578) और जसवंतनगर (1,64,916) में एक लाख से अधिक वोट हासिल किए.
रघुनाथ शाक्य का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भोगांव विधानसभा क्षेत्र में आया, जहां उन्हें 73,818 वोट मिले. चुनाव आयोग के अनुसार, जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र में 3.92 लाख से अधिक और करहल विधानसभा क्षेत्र में 3.73 लाख से अधिक मतदाता हैं.
सपा संस्थापक के निधन के तुरंत बाद हुए उपचुनाव ने मैनपुरी के सभी विधानसभा क्षेत्रों में डिंपल की जीत सुनिश्चित करने और दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि देने के लिए पूरे यादव समुदाय को एकजुट कर दिया था.
मैनपुरी से सपा नेता देवेंद्र यादव ने कहा कि जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र का चुनावी कामकाज शिवपाल सिंह यादव और अभिषेक अंशुल यादव (इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष) संभाल रहे थे, जबकि करहल में पार्टी की स्थानीय इकाई के कार्यकर्ता और कुछ आजमगढ़ के पार्टी नेताओं ने वोटरों को रिझाने का काम किया.
उन्होंने कहा कि मैनपुरी के पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव किशनी विधानसभा क्षेत्र के मामलों को देखते थे, जबकि सपा के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव मैनपुरी विधानसभा क्षेत्र के मामलों को देख रहे थे.
मुलायम का पैतृक गांव सैफई इटावा जिले के जसवंतनगर में आता है. सपा संस्थापक ने अपनी चुनावी पारी वर्ष 1967 में पहली बार जीत दर्ज कर जसवंतनगर से शुरू की थी। इसके बाद वह छह बार इस सीट से चुने गए.
वर्ष 1996 में मुलायम ने अपने छोटे भाई शिवपाल यादव को यह निर्वाचन क्षेत्र सौंप दिया, जिन्होंने इस बार वर्ष की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनावों में लगातार छठी बार यह सीट जीती थी.
वर्ष 1996 के बाद मुलायम ने राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा और चार बार मैनपुरी लोकसभा सीट से जीत दर्ज की. श्याम बहादुर यादव ने कहा कि मैनपुरी के लोगों ने सामान्य रूप से सपा और विशेष रूप से "सैफई परिवार" को पूरे दिल से समर्थन दिया.
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