सोलापुर: भीषण गर्मी के इन दिनों में पश्चिमी महाराष्ट्र के सोलापुर (Solapur) जिले के गांवों में गंभीर जल संकट है. ये गांव पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं. मालशिरस तालुका के 22 गांवों में 15 दिनों में एक बार टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जा रही है जो इस भीषण गर्मी में न के बराबर है. बूंद-बूंद को तरसते ये लोग हालात के आगे मजबूर हैं. पानी की कमी के कारण कथित तौर पर किसानों ने इस क्षेत्र में खेती करना बंद कर दिया है. देवेन्द्र फडणवीस ने MVA शासन के ‘घोटालों’ की सूची उजागर करने का वादा किया.
स्थानीय निवासी मालन बाई कहती हैं, "हमें 15 दिनों के बाद पानी मिल रहा है. हम खाट के नीचे बर्तन रखकर नहाते हैं और जो पानी बचता है उससे कपड़े धोते हैं. हमें प्रतिदिन 20 रुपये देकर पीने का पानी मिलता है. स्थिति यह है कि जब से हमारी शादी हुई है और हम इस गांव में आए हैं, तब से नेता वोट के लिए आते हैं, लेकिन चुनाव के बाद वे यहां नहीं भटकते.'
किसानों ने खेती करना किया बंद
#WATCH | Western Maharashtra's Solapur district villages face a severe water crisis. Water is being supplied by tankers once in 15 days to 22 villages of Malshiras taluka. Due to water shortage, farmers have reportedly stopped farming in the region. pic.twitter.com/cYYXy5k7sY
— ANI (@ANI) May 3, 2024
भीषण गर्मी और जल संकट
महाराष्ट्र के सोलापुर में तापमान 43 डिग्री के पार दर्ज किया जा रहा है और ऐसे में सोलापुर को पानी देने वाले उजनी बांध का जलस्तर माइनस में पहुंच गया है. बांध में जलस्तर शून्य से भी 36 प्रतिशत नीचे है. सोलापुर जिले के 5 तहसील में सूखा ग्रस्त घोषित कर दिया गया है. बार्शी, मालशिरस, सांगोला, करमाला और माढा को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया गया है. यहां लोगों को फरवरी से ही पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है.
जल संकट बड़ा मुद्दा
देश में चुनावी मौसम है लेकिन सोलापुर की जनता की सुध लेने वाला कोई नहीं है. यहां लोग बूंद-बूंद को तरस रहे हैं और कब तक तरसेंगे इसका कोई जवाब नही है. लोगों को किसी नेता पर भरोसा नहीं है जो उनकी इस समस्या को हल कर सके. हालत इतने खराब हैं कि हर दिन लोगों को बस पानी का ही इंतजार रहता है. इस इंतजार में बच्चे स्कूल तक नहीं जा पाते हैं, ताकि पानी भर सकते. यहां बस पानी का इंतजार है और पानी को बचाने का संघर्ष.