मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में महायुति (बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी) ने बहुमत का आंकड़ा पार कर राज्य में अपनी सरकार बनाने का रास्ता साफ कर लिया है. विपक्षी महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन बहुमत से काफी दूर रह गया. इस ऐतिहासिक जीत के पीछे 'लाडकी बहिन योजना' को सबसे बड़ा फैक्टर माना जा रहा है.
‘लाडकी बहिन’ योजना बनी गेम चेंजर
बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति की जीत का श्रेय कई योजनाओं और रणनीतियों को दिया जा रहा है, जिनमें सबसे प्रमुख ‘लाडकी बहिन’ योजना है. इस योजना ने महिलाओं और गरीब तबके के बीच गहरी पकड़ बनाई, जिससे महायुति को ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में फायदा हुआ.
महिला वोटरों का बढ़ा दबदबा
इस बार चुनावों में रिकॉर्ड 66.05% मतदान हुआ, जो 2019 के मुकाबले 5% अधिक है. खास बात यह रही कि महिला वोटरों ने अपने मतदान के जरिए चुनाव की दिशा को काफी हद तक बदल दिया.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार कुल 6.44 करोड़ वोटरों में से 3.06 करोड़ महिलाएं थीं. महिलाओं ने बड़ी संख्या में मतदान कर इतिहास रच दिया.
कैसे चला 'लाडकी बहिन योजना' का जादू?
महायुति ने चुनाव प्रचार के दौरान इस योजना को अपने सबसे बड़े हथियार के रूप में इस्तेमाल किया. 'लाडकी बहिन योजना' के तहत हर महिला को 1500 रुपये मासिक आर्थिक सहायता देने का वादा पहले ही किया गया था. चुनावों के दौरान महायुति ने यह राशि बढ़ाकर 2100 रुपये करने का ऐलान किया, जिससे महिलाओं में इस योजना के प्रति आकर्षण बढ़ गया.
'लाडकी बहिन योजना' ने उन परिवारों की महिलाओं को सीधे प्रभावित किया, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में इस योजना का प्रभाव सबसे ज्यादा देखा गया. वहीं शहरी क्षेत्र भी इससे अछूते नहीं दिखे.
महिला वोटरों की यह सक्रियता महायुति के पक्ष में निर्णायक साबित हुई. 'लाडकी बहिन योजना' ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की महिलाओं का दिल जीता. यह योजना महायुति के लिए न केवल एक चुनावी वादा साबित हुई, बल्कि जीत की नींव भी बनी.
देवेंद्र फडणवीस की दमदार वापसी
लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में महायुती का रिजल्ट भले निराशाजनक रहा हो लेकिन बीजेपी ने इसे अपनी ताकत बना लिया. इसी का नतीजा है कि बीजेपी के पास अकेले ही महाविकास अघाड़ी से अधिक सीटें हैं. इसके अलावा,गरीब-समर्थक और जन-समर्थक योजनाओं ने मतदाताओं का भरोसा जीतने में अहम भूमिका निभाई.