भोपाल: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के भिंड जिले (Bhind) से भारतीय स्टेट बैंक यानी एसबीआई (State Bank of India) की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जानकारी के मुताबिक, एसबीआई बैंक (SBI Bank) ने एक ही बैंक खाते के दो खाता धारक बना दिए, फिर जो हुआ वो वाकई हैरान करने वाला है. दरअसल, भिंड जिले के आलमपुर स्थित एसबीआई बैंक की गलती का नतीजा यह हुआ कि एक शख्स अपनी मेहनत की कमाई बैंक खाते में जमा कराता रहा और दूसरे शख्स को लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) उसके खाते में पैसे भेज रहे हैं, यही सोचकर वो पैसे निकालता रहा. दरअसल, रूरई गांव में रहने वाले हुकुम सिंह और रोनी गांव के रहने वाले हुकुम सिंह ने आलमपुर ब्रांच में खाता खुलवाया.
बैंक में खाता खोलते समय बैंकर ने दोनों को अलग-अलग पासबुक दिया और उस पर अलग-अलग फोटो भी लगवाई, लेकिन दोनों पासबुक पर एक ही पता और एक ही खाता नंबर दे दिया, यानी बैंकर की एक गलती के कारण एक ही खाते के दो मालिक बन गए. जानकारी के अनुसार, बैंक में खाता खुलवाने के बाद रूरई गांव का हुकुम सिंह कमाने के लिए हरियाणा चला गया और वहां से वो अपनी कमाई की पाई-पाई बैंक में जमा करता रहा. उधर खाते में पैसे देखकर रोनी गांव के हुकुम सिंह को लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसे पैसे भेज रहे हैं. यह सोचकर वो खाते से पैसे निकालता रहा. खाते से पैसे निकालने का यह सिलसिला 6 महीने तक चलता रहा और दूसरे हुकुम सिंह ने करीब 89 हजार रूपए निकाल लिए. यह भी पढ़ें: SBI खाताधारक ध्यान दें! आज से बदल गए हैं मिनिमम बैलेंस, चेक बुक, NEFT/RTGS और ATM सहित ये नियम
बैंक की लापरवाही का यह मामला तब उजागर हुआ जब रूरई गांव का हुकुम सिंह जमीन खरीदने के लिए 16 अक्टूबर को बैंक से अपनी जमापूंजी निकालने के लिए पहुंचा. बैंक पहुंचने के बाद उसे पता चला कि उसके खाते में सिर्फ 35 हजार 400 रुपए ही बचे हैं, जबकि उसने अब तक 1 लाख 40 हजार रुपए जमा किए थे. अपने बैंक से गायब रूपयों को लेकर उसने बैंक कर्मियों से शिकायत की, लेकिन बैंक के अधिकारियों ने इस मामले को दबाने की कोशिश की.
गौरतलब है इस मामले में बैंक के मैनेजर ने भरोसा दिलाया कि खाता धारक को पैसा मिल जाएगा, लेकिन उन्हें पता लगा कि वो पैसे रोनी गांव के निवासी हुकुम सिंह के पास है. ऐसे में जब उस शख्स से पूछा गया तो उसने कहा कि यह मेरा खाता है, उसमें पैसा आया और मुझे लगा कि मोदी जी पैसे दे रहे हैं तो मैंने निकाल लिया. उसने इस पूरे मामले के लिए बैंक वालों को जिम्मेदार ठहराते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया.
बैंक की लापरवाही का यह मामला तब उजागर हुआ जब रूरई गांव का हुकुम सिंह जमीन खरीदने के लिए 16 अक्टूबर को बैंक से अपनी जमापूंजी निकालने के लिए पहुंचा. बैंक पहुंचने के बाद उसे पता चला कि उसके खाते में सिर्फ 35 हजार 400 रुपए ही बचे हैं, जबकि उसने अब तक 1 लाख 40 हजार रुपए जमा किए थे. अपने बैंक से गायब रूपयों को लेकर उसने बैंक कर्मियों से शिकायत की, लेकिन बैंक के अधिकारियों ने इस मामले को दबाने की कोशिश की.
गौरतलब है इस मामले में बैंक के मैनेजर ने भरोसा दिलाया कि खाता धारक को पैसा मिल जाएगा, लेकिन उन्हें पता लगा कि वो पैसे रोनी गांव के निवासी हुकुम सिंह के पास है. ऐसे में जब उस शख्स से पूछा गया तो उसने कहा कि यह मेरा खाता है, उसमें पैसा आया और मुझे लगा कि मोदी जी पैसे दे रहे हैं तो मैंने निकाल लिया. उसने इस पूरे मामले के लिए बैंक वालों को जिम्मेदार ठहराते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया.