मध्यप्रदेश में पशुओं में लंपी बीमारी ने चिंता बढ़ाई

भोपाल, 5 अगस्त : मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में पशुओं में लंपी वायरस से फैलने वाली बीमारी के संदिग्ध मामले सामने आने के बाद चिंता बढ़ गई है, पशु पालन और डेयरी विभाग ने सभी पशु चिकित्सा अधिकारियों को अलर्ट जारी कर दिया है. राज्य के कई हिस्सों में पशुओं में लंपी बीमारी के लक्षण होने की बात सामने आई है, यह लंपी स्किन डिजीज पशुओं में होने वाला एक वायरल है, यह पॉक्स वायरस से मवेशियों में फैलता है. यह बीमारी मच्छरों, मक्खियों के जरिए एक से दूसरे पशुओं तक फैलती है. इस बीमारी के चलते पशुओं के शरीर पर छोटी-छोटी गठानें बन जाती है जो गांठों में बदल जाती हैं और शरीर पर जख्म नजर आने लगते हैं. इसके बाद पशु खाना कम दे कर देता है और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घट जाती है.

रतलाम में दो गांव में लंपी वायरस के लक्षण मिलने के बाद पशुपालन विभाग ने राज्य में अलर्ट जारी कर दिया है. सभी पशु चिकित्सा अधिकारियों को संचालक डॉ आरके मेहिया की ओर से जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि किसी पशु में लंपी बीमारी के लक्षण पाए जाते हैं तो उसके नमूने राज्य पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला भोपाल को जांच के लिए भेजे जाएं.

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने भी ट्वीट कर कहा है प्रदेश के कई जिलों में पशुओं में लंपी बीमारी होने के समाचार लगातार सामने आ रहे हैं. मूक पशु अपनी पीड़ा खुद तो व्यक्त नहीं कर सकते और पशुपालकों की बात सुनने के लिए सरकार के पास समय नहीं है. मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि तत्काल इस विषय में आवश्यक कार्यवाही करें और प्रदेश को इस बीमारी से बचाएं. यह भी पढ़ें : दिल्ली उच्च न्यायालय ने पतंग उड़ाने पर प्रतिबंध लगाने से किया इनकार

इसी तरह मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि राजस्थान, गुजरात और अन्य पड़ोसी राज्यों के बाद मध्यप्रदेश में भी बड़े पैमाने पर पशुओं में लंपी स्किन बीमारी फैल रही है. इससे न केवल पशु बीमार हो रहे हैं बल्कि उनकी मौतें भी हो रही हैं. मगर अभी तक प्रशासन और सरकार पशुधन के उपचार के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा पाई है.

जसविंदर सिंह ने कहा है कि सरकार द्वारा संचालित अधिकांश पशु चिकित्सालय या तो जर्जर और डॉक्टर तथा दवा विहीन हैं और इस बीमारी का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है. माकपा की मांग है कि इस बीमारी से पीड़ित पशुओं का निशुल्क इलाज करने के साथ ही जिन किसानों और पशुपालकों के पशुओं की मौत हो गई है उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए.