नई दिल्ली: लोकसभा (Lok Sabha) से उपभोक्ता संरक्षण विधेयक (Consumer Protection Bill) को हरी झंडी मिल गई है. उपभोक्ताओँ के हितों के सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण उपभोक्ता संरक्षण विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में गुरुवार को पारित हो गया है. यह विधेयक को जनवरी में लोकसभा में पेश किया गया था लेकिन इस पर तब चर्चा नहीं हो सकी थी.
उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2018 पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 की जगह लेगा. इसका उद्देश्य भ्रामक विज्ञापनों, डिजिटल लेनदेन और ई-कॉमर्स से जुड़ी समस्याओं को बेहतर तरीके से दूर करके उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है.
बिल की मुख्य विशेषताएं-
- यह बिल उपभोक्ता अधिकारों को पुष्ट करता है और खराब वस्तुओं एवं सेवाओं में दोष से संबंधित शिकायतों के निवारण के लिए व्यवस्था प्रदान करता है.
- उपभोक्ताओं की शिकायतों पर फैसला करने के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों का गठन किया जाएगा.
-जिला और राज्य आयोग के खिलाफ अपीलों की सुनवाई राष्ट्रीय आयोग में होगी और राष्ट्रीय आयोग के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई की जाएगी.
- बिल एक वर्ग (क्लास) के रूप में उपभोक्ता अधिकारों को बढ़ावा देने, उनका संरक्षण करने और उन्हें लागू करने के लिए केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण अथॉरिटी का गठन करता है.
- अथॉरिटी वस्तुओं और सेवाओं के लिए सेफ्टी नोटिस जारी कर सकती है, रीफंड का आदेश दे सकती है, वस्तुओं को रीकॉल कर सकती है और भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ नियम बना सकती है.
- अगर खराब वस्तु या दोषपूर्ण सेवा से किसी उपभोक्ता को कोई नुकसान होता है, तो वह मैन्यूफैक्चरर, विक्रेता या सर्विस प्रोवाइडर के खिलाफ उत्पाद दायित्व (प्रॉडक्ट लायबिलिटी) का दावा कर सकता है.
- बिल ऐसे कॉन्ट्रैक्ट्स को ‘अनुचित’ के रूप में पारिभाषित करता है जो उपभोक्ताओं के अधिकारों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं. वह अनुचित और प्रतिबंधित तरीके के व्यापार को भी परिभाषित करता है.
- बिल उपभोक्ता संरक्षण पर सलाह देने के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तरों पर उपभोक्ता संरक्षण परिषदों की स्थापना करता है.
केंद्रीय उपभोक्ता मामले राज्यमंत्री सी आर चौधरी ने पिछले महीने चिंता जताते हुये कहा था कि राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में 20,000 मामले और अलग-अलग राज्यों के उपभोक्ता आयोग में कुल मिलाकर एक लाख मामले लंबित हैं. उन्होंने कहा, "हमारी चिंता यह है कि कैसे मामलों का निपटारा कर समय पर न्याय दिया जाये. नये विधेयक में इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखा गया है."