चुनाव आयोग (Election Commission) ने गुरुवार को कहा कि चुनाव के दौरान पहचान के दस्तावेज के रूप में अब मतदाता पर्ची का अकेले इस्तेमाल नहीं किया जाएगा और मतदाता पहचान पत्र समेत वैध 12 पहचान पत्रों में से मतदाता को किसी एक को लेकर मतदान केंद्र पर जाना होगा. चुनाव आयोग के आदेश में कहा गया है कि इन पर्चियों के इस्तेमाल के खिलाफ उसके समक्ष ऐतराज जताए जाने के बाद यह फैसला किया गया है. दरअसल, इन पर्चियों पर कोई सुरक्षा विशेषता नहीं होती है. इन्हें मतदाता सूची को अंतिम रूप दिए जाने के बाद छापा जाता है और मतदान से ठीक पहले बूथ स्तरीय अधिकारियों (BLO) द्वारा घर - घर बांटा जाता है. आयोग ने कहा कि मतदाता सूची की डिजाइन में कोई सुरक्षा विशेषता नहीं है. दरअसल, इसे ईपीआईसी (मतदाता फोटो पहचान पत्र) के कवरेज के पूरा नहीं होने के एक वैकल्पिक दस्तावेज के रूप में शुरू किया गया था.
पहचान के लिए स्वीकृत 12 दस्तावेजों में ईपीआईसी, पासपोर्ट, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, केंद्र/ राज्य सरकारों, पीएसयू, पब्लिक लिमिटेड कंपनियों द्वारा जारी नौकरी पहचान पत्र, बैंक या डाक घर द्वारा जारी पासबुक, आयकर विभाग का पैन कार्ड और रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया द्वारा राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी के तहत जारी स्मार्ट कार्ड शामिल हैं. उपलब्ध सूचना के मुताबिक, अभी 99 फीसदी से अधिक मतदाताओं के पास ईपीआईसी है और 99 फीसदी से अधिक वयस्कों को आधार कार्ड जारी किया जा चुका है. यह भी पढ़ें- Lok Sabha Elections 2019: भारत-पाक तनाव के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा बोले- देश में समय पर पर होंगे आम चुनाव
आयोग ने कहा कि इन सभी तथ्यों को मद्देनजर रखते हुए यह फैसला किया गया है कि मतदाता पर्ची अब से मतदान के लिए पहचान के दस्तावेज के तौर पर अकेले स्वीकार नहीं की जाएगी. हालांकि, इन पर्चियों को तैयार करना जारी रखा जाएगा और जागरूकता फैलाने के लिए उन्हें मतदाताओं को बांटा जाएगा. इस पर बड़े - बड़े अक्षरों में यह चेतावनी दर्ज होगी कि इसे पहचान के उद्देश्य के लिए स्वीकार नहीं किया जाएगा.