
Ujjain Liquor Ban: देश के कोने-कोने से भक्त बाबा महाकाल (Baba Mahakaal) के दर्शन करने के लिए मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की धार्मिक नगरी में आते हैं. बाबा महाकाल के दर्शन के साथ-साथ भक्त उनके सेनापति काल भैरव के मंदिर (Kaal Bhairav Mandir) में भी मत्था टेकने जरूर जाते हैं. इस मंदिर में विराजमान काल भैरव को शराब (Alcohol) का भोग अर्पित किया जाता है, लेकिन 1 अप्रैल से धार्मिक स्थलों पर शराबबंदी कर दी गई है. ऐसे में सवाल उठता है कि उज्जैन में शराबबंदी के बीच क्या भक्त शराब खरीदकर काल भैरव को प्रसाद स्वरूप अर्पित कर सकते हैं? दरअसल, शराबबंदी के बाद इस मंदिर में कई बदलाव हुए हैं और अब भगवान काल भैरव के लिए शराब के भोग का इंतजाम मंदिर प्रबंधन कर रहा है.
शराबबंदी के बीच भक्त कैसे अर्पित करें शराब का भोग?
उज्जैन के काल भैरव मंदिर में दर्शन के लिए भारी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, लेकिन शराबबंदी की वजह से मंदिर में आने वाले भक्तों को शराब नहीं मिल रही है. शराबबंदी की घोषणा के बाद बुधवार को दर्शन के लिए मंदिर पहुंचे कई भक्त अपने साथ शराब लेकर आए थे, लेकिन कई भक्तों को मंदिर आने के बाद पता चला कि अब शराब नहीं मिल रही है. शराब न मिलने की वजह से कई भक्तों ने भगवान को चने, चिरौंजी और नारियल का प्रसाद अर्पित किया. यह भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2025: दुर्गा अष्टमी कब मनाई जाएगी 05 या 06 अप्रैल को? जानें सटीक तिथि तथा कन्या-पूजन की तिथि एवं विधि!
काल भैरव को क्यों लगाया जाता है शराब का भोग?
कहा जाता है कि काल भौरव को मदिरा का भोग लगाने की परंपरा की शुरुआत राजा विक्रमादित्य के शासनकाल में हुई थी. ऐसी मान्यता है कि किसी ने राजा विक्रमादित्य की पूजा में अनिष्ट करने के मकसद से काल भैरव को चढ़ाए जाने वाले भोग में मदिरा मिला दी थी, जिससे काल भैरव क्रोधित हो गए थे. इसके बाद राजा विक्रमादित्य ने विशेष पूजा-अर्चना की, जिससे काल भैरव प्रसन्न हए और तब से उन्हें मदिरा चढ़ाने की परंपरा शुरु हुई. इसके अलावा कहा जाता है कि काल भैरव तांत्रिकों के देवता हैं और तांत्रिक क्रियाओं में मदिरा का उपयोग किया जाता है, इसलिए उन्हें शराब अर्पित किया जाता है.
काल भैरव मंदिर के पुजारी की मानें तो यहां प्रतिदिन पांच बार भगवान को मदिरा का भोग लगाया जाता है और उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि काल भैरव तामसिक प्रवृत्ति के देवता हैं, इसलिए उन्हें मदिरा का भोग लगाया जाता है. इस मंदिर को लेकर दावा किया जाता है कि यहां चढ़ाई जाने वाली शराब स्वयं मूर्ति पी जाती है और जिस पात्र में इसे डाला जाता है, वह खाली हो जाता है. मान्यता है कि उज्जैन आकर महाकाल के दर्शन के बाद अगर काल भैरव के दर्शन नहीं किए जाते हैं तो दर्शन का पूरा लाभ प्राप्त नहीं होता है, इसलिए महाकाल के दर्शन के बाद भक्त काल भैरव के दर्शन अवश्य करते हैं.