कोरोना महामारी की वजह से बदले बदले नजर आएंगे त्योहारों के रंग

कोरोना महामारी की वजह से सभी त्यौहारों के रंग फीके पड़ चुके हैं. इसी क्रम में दुर्गा पूजा के लिए इस बार लोगों को पंडाल में जाकर पूजा करने की इजाजत नहीं मिली. जिसकी वजह से लोगों में मायूसी साफ देखी गई.

दुर्गा पूजा 2020 (Photo Credits: File Image)

कोरोना महामारी की वजह से सभी त्यौहारों के रंग फीके पड़ चुके हैं. इसी क्रम में दुर्गा पूजा के लिए इस बार लोगों को पंडाल में जाकर पूजा करने की इजाजत नहीं मिली. जिसकी वजह से लोगों में मायूसी साफ देखी गई. हर साल भव्य तरीके से मनाए जाने वाला त्यौहार इस बार सूना सूना रहा. अधिकतर दुर्गा पूजा समितियों ने श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन दर्शन करने की सुविधा दी. जहां एक तरफ लोगों को ऑनलाइन दर्शन का मौका प्राप्त हुआ तो वहीं कुछ समितियों द्वारा पूजा की वीडियो बनाकर लोगों को अलग-अलग माध्यमों से भेजा गया. वहीं प्रसाद भी लोगों को फूड पैकेट में दिए गये और लोगों को घर जाकर खाने को कहा गया.

पूजा के दौरान किसी भी तरह की दिक्कत से बचने के लिए पुजारियों को भी रखा गया है. इसके अलावा पूजा में शामिल होने वाले लोगों की वीडियो भी बनाया जा रहा है और स्थानीय प्रशासन को रोजाना शाम को भेजा जाता है. इसका मकसद पंडालों में भीड़ न लगे, नियमों का पालन हो, वहीं अगर कोई संक्रमित पाया जाए तो, उसकी तुरन्त पहचान की जा सके. हालांकि काफी सालों बाद ऐसा हुआ है जब दिल्ली की सबसे बड़ी दुर्गा पूजा समिति में पंडाल नहीं लगाए गए हैं. दिल्ली में दुर्गा पूजा उत्सव का भव्य आयोजन करने वाली चितरंजन पार्क काली मंदिर सोसायटी ने इस साल कोविड-19 महामारी के मद्देनजर आम जनता को मंदिर प्रांगण में प्रवेश नहीं देने का फैसला किया है. साथ ही अलग-अलग सोशल मीडिया माध्यम से दर्शन करवाये जा रहे हैं. प्रसाद और भोग भी ऑनलाइन बुक किए जा रहे हैं और फिर लोगों के घरों तक प्रसाद पहुंचाया जा रहा है. इसके लिए लोगों के नाम की लिस्ट तैयार की जाती है और फिर मंदिर से जुड़े लोग यह प्रसाद लोगों के घर तक पहुंचा देते हैं. यह भी पढ़े: Nirmala Sitharaman on LTC Facility: कोरोना संकट के बीच अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए केंद्र का बड़ा फैसला, कर्मचारियों को त्यौहारों के लिये 10,000 रुपये का ब्याज मुक्त अग्रिम देगी मोदी सरकार 

सीआर पार्क बी ब्लॉक के निवासी सयन आचार्य ने आईएएनएस को बताया, "इस साल पंडाल तो नहीं था एक छोटा सी पूजा ही हुई. हमारे इधर मूर्ति भी नहीं रखी गई थी, सिर्फ कलश से पूजा की गई और इसमें भी 10 से 15 लोगों को ही आने की इजाजत थी." "पुष्पांजलि, भोग और अन्य तरह के कल्चर प्रोग्राम नहीं हो सके. लोगों को दर्शन करने के लिए ऑनलाइन सुविधा मुहैया कराई थी." दिल्ली के गोविंदपुरी निवासी अरुणधती बैनर्जी ने आईएएनएस को बताया, "इस साल हम कहीं दर्शन करने नहीं जा सके, क्योंकि कहीं पंडाल नहीं लगा वहीं जहां पूजा होती थी वहां बस पूजा जारी रखने के लिए घाट पूजा हुई थी. एक दो जगहों पर मूर्ति लगी है, लेकिन बस समिति के सदस्यों को अनुमती थी." दरअसल अरुणधती हर साल दुर्गा पूजा के दौरान अपने डांस ग्रुप के साथ अलग-अलग जगहों पर कार्यक्रम किया करती थीं. लेकिन इस बार कोरोना की वजह से ऐसा नहीं हो सका. यह भी पढ़े: आपदा से लड़ने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील को जीवन का मंत्र बनाएं: गृहमंत्री अमित शाह

दिल्ली के चाणक्यपुरी पूजा समिति ने एक छोटा सा पंडाल लगाया है, जहां सिर्फ समिति के सदस्यों को आने की इजाजत दी गई. वहीं पंडाल के पास सिर्फ 5 लोगों रहने की इजाजत है, जिसमें पुजारी और केयर टेकर शामिल हैं. इसके अलावा अन्य लोग बाहर से ही दर्शन कर सकते हैं. पूजा में शामिल होने वाले लोगों को मुंह पर मास्क लगाना जरूरी होगा, वहीं अन्य नियमों का भी कड़ाई से पालन करना होगा. साथ ही यहां किसी तरह का कोई कल्चरल प्रोग्राम नहीं आयोजित किया गया है.

Share Now

\