Kisan Samman Nidhi Yojana: किसान सम्मान निधि योजना के 5 साल- किसानों के आर्थिक उन्नयन पर मोदी सरकार का फोकस

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा से किसानों के विकास के लिए तत्पर नजर आते हैं. किसानों की आय कैसे दोगुनी हो इसके लिए सरकार की तरफ से कई किसान हितैषी योजनाएं भी चलाई जा रही हैं.

PM Modi | Credit- ANI

नई दिल्ली, 27 फरवरी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा से किसानों के विकास के लिए तत्पर नजर आते हैं. किसानों की आय कैसे दोगुनी हो इसके लिए सरकार की तरफ से कई किसान हितैषी योजनाएं भी चलाई जा रही हैं. किसानों के जीवन को कैसे बेहतर बनाया जाए पीएम मोदी के काम की सूची में प्राथमिकता से शामिल है.

किसानों को अपनी फसल की बुआई से लेकर उसके तैयार होने तक किसी तरह की आर्थिक परेशानी से ना जूझना पड़े इसके लिए नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से पीएम किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की गई थी. जिसके तहत सरकार की तरफ से सीधे किसानों के खाते में 6000 रुपए की रकम भेजी जाती है. 24 फरवरी 2019 को सरकार ने इस योजना की शुरुआत की थी और अब इस योजना के 5 साल पूरे हो गए हैं. ऐसे में अब 28 फरवरी को इस योजना के तहत किसानों के खाते में इसकी 16वीं किस्त आने वाली है जिसकी आधिकारिक घोषणा कर दी गई है. यह भी पढ़ें : ‘विकसित भारत’ के लिए चीजें सही तरीके से आगे बढ़ रही हैं: गोयल

बता दें कि साल 2019 में फरवरी में पेश किए गए अंतरिम बजट में पीएम किसान योजना का ऐलान हुआ था. तब इसके जरिए किसानों को नियमित सहायता राशि देने का वादा किया गया था. सरकार की तरफ से इस योजना की शुरुआत किसानों के फसल की लागत को कम करने के लिए की गई थी. सरकार की तरफ से इस योजना के जरिए 6 हजार रुपए की राशि को 3 भागों में बांटकर किसानों को दिया जाता है. जिसमें से एक भाग रबी सीजन की बुआई के वक्त, दूसरा भाग खरीफ बुआई के वक्त और इसकी तीसरी किस्त जायद फसलों के बुआई के वक्त दी जाती है.

पीएम किसान सम्मान निधि योजना के अब जब 5 साल पूरे हो गए हैं तो आपको बता दें कि बीते 5 वर्षों से इस योजना के तहत इसके 11 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसानों को 2.80 लाख करोड़ का हस्तांतरण किया जा चुका है. अब जब पीएम 28 फरवरी को इसकी 16वीं किस्त जारी करेंगे तो इस बार इसके अंतर्गत 8 करोड़ की राशि जारी की जाएगी.

इसके साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार के द्वारा किसान हितैषी कई और योजनाओं को चलाया जा रहा है. जिसका लाभ पाकर किसान सशक्त हो रहे हैं. इसमें पीएम किसान मानधन योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई), सॉयल हेल्थ कार्ड, नीम कोटेड यूरिया जैसी कई योजनाएं चलाई जा रही है. जिसका सीधा लाभ किसानों को मिल रहा है और यह किसानों के सशक्तिकरण में मिल का पत्थर साबित हो रहा है.

पीएम किसान मानधन योजना स्कीम के तहत सरकार की तरफ से हर महीने किसानों को 3 हजार रुपये की पेंशन दी जा रही है. जिससे जुड़ने के लिए किसानों की उम्र 18 से 40 साल है. रजिस्टर्ड किसान जब 60 वर्ष के हो जाते हैं तो इसके बाद उनके अकाउंट में तीन हजार रुपये प्रति माह पेंशन भेजी जाती है. इसके साथ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसल के नुकसान के खिलाफ किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए यह योजना चलाई जाती है. जिसमें प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और बीमारियों के कारण फसल के नुकसान पर उसकी भरपाई बीमा कंपनियों के द्वारा की जाती है. इस योजना के तहत किसानों को प्रीमियम का भुगतान करना होता है. जिस पर सरकार सब्सिडी देती है.

वहीं भारत सरकार की तरफ से किसानों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड की व्यवस्था की गई है. यह बैंकों के द्वारा जारी किया जाता है. इसके तहत किसानों को खेती से जुड़ी चीजों खाद, बीज, कीटनाशक इत्यादि की खरीद के लिए सस्ती ब्याज दरों पर कर्ज उपलब्ध कराया जाता है.

वहीं प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना भी किसानों के लिए बेहद हितकर योजना है. जिसमें किसानों को सिंचाई के नई तकनीकी उपकरण की खरीद के लिए धन राशि की व्यवस्था की जाती है. वहीं परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत भारत सरकार किसानों को 50 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की वित्तीय सहायता जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए देती है.

इसके साथ ही खेती के लिए किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड (सॉयल हेल्थ कार्ड) जारी करने की भी व्यवस्था की गई है. ताकि मिट्टी की जांच से उसकी शक्ति उसमें किस तरह के फसल बेहतर उपज देंगे. मिट्टी की कमजोरी इन सभी चीजों की वैज्ञानिक जांच के जरिए रिपोर्ट दी जाती है. ताकि किसान उसी के अनुसार फसलों का चयन खेती के लिए कर सकें.

इसके साथ ही नीम कोटेड यूरिया के जरिए उर्वरक की लागत को कम करने और कालाबाजारी को रोकने के लिए मोदी सरकार ने इस योजना की शुरुआत की. नीम कोटेड होने की वजह से यूरिया की खपत 10 पर्सेंट तक कम हो गई है.

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