कनाडा की खुली पोल! खालिस्तानी आतंकी निज्जर ने जस्टिन ट्रूडो को 2016 में लिखा था पत्र, PM से की थी ये अपील

निज्जर पर भारत में हत्या, आतंकवादी गतिविधियों और राजद्रोह सहित कई मामलों में आरोप लगे थे. वर्ष 2007 में लुधियाना में एक सिनेमाघर में विस्फोट में छह लोगों की हत्या में उसकी कथित भूमिका थी.

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टोरंटो, 29 सितंबर: मारे गए खालिस्तान कट्टरपंथी हरदीप सिंह निज्जर ने 2016 में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को संबोधित एक पत्र में उसके आतंकवादी होने के भारत सरकार के आरोपों से इनकार किया था. एक मीडिया रिपोर्ट में यह बात सामने आई है.

सरे में गुरु नानक सिख गुरुद्वारे के प्रमुख ने, जिसकी इस साल जून में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, 2016 में ट्रूडो का यह पत्र लिखकर उनसे हस्‍तक्षेप की मांग की थी. यह बात उस समय की है जब ने भारत के अनुरोध पर इंटरपोल ने उनके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था. खौफनाक VIDEO: धमाके में लोगों के चीथड़े हवा में उड़ गए, बलूचिस्तान विस्फोट में 55 की मौत

नेशनल पोस्ट अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, निज्जर ने कहा, "मैं आपके प्रशासन से मेरे खिलाफ भारत सरकार के मनगढ़ंत, निराधार, काल्पनिक और राजनीति से प्रेरित आरोपों को खारिज करने का आग्रह करता हूं." उन्होंने कहा कि भारत ने "अपने सरकारी अधिकार का खुलेआम दुरुपयोग किया है."

निज्जर पर भारत में हत्या, आतंकवादी गतिविधियों और राजद्रोह सहित कई मामलों में आरोप लगे थे. वर्ष 2007 में लुधियाना में एक सिनेमाघर में विस्फोट में छह लोगों की हत्या में उसकी कथित भूमिका थी.

प्रतिबंधित खालिस्तान टेरर फोर्स के प्रमुख के रूप में उस पर ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में आतंकी प्रशिक्षण शिविर चलाने का आरोप था और इंटरपोल ने भारत के अनुरोध पर 2016 में उनके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था.

सीबीआई ने 2014 में विस्फोट का प्रयास करने, जीवन या संपत्ति को खतरे में डालने के इरादे से विस्फोटक बनाने या रखने और संदिग्ध परिस्थितियों में विस्फोटक बनाने या रखने के आरोप में निज्जर के खिलाफ वारंट भी जारी किया था.

नेशनल पोस्ट और वैंकूवर सन की संयुक्त समाचार रिपोर्ट के अनुसार, निज्जर ने पीएम को बताया कि उन्हें और उनके परिवार को सिखों के लिए एक स्वतंत्र मातृभूमि बनाने की मांग करने वाले अलगाववादी आंदोलन खालिस्तान के समर्थन के कारण भारत द्वारा निशाना बनाया गया था. पत्र में कहा गया है कि निज्जर ने "कभी भी किसी हिंसक गतिविधि में विश्वास नहीं किया, उसका समर्थन नहीं किया या उसमें शामिल नहीं रहा."

पत्र में कहा गया है, "सिख अधिकारों के लिए मेरे अभियान के कारण, यह मेरा मानना ​​है कि मैं अपने मानवाधिकार अभियान को आतंकवादी गतिविधियों के रूप में लेबल करने के लिए भारत सरकार के अभियान का लक्ष्य बन गया हूं."

पत्र में उसने यह भी कहा, "मुझे आतंकवादी के रूप में चिह्नित करने का अभियान तब शुरू हुआ जब मैंने जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद में एक शिकायत पर हस्ताक्षर एकत्र करने और 1984 की सिख विरोधी नरसंहार के बारे में एक अभियान में सक्रिय रूप से भाग लिया."

निज्जर की मौत ने ओटावा और नई दिल्ली के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा कर दिया है. कनाडा ने कहा है कि उसे हत्या में भारत की संलिप्तता का संदेह है और भारत ने आरोपों को "बेतुका" बताया है. भारतीय खुफिया एजेंसियों के ताजा निष्कर्षों के अनुसार, निज्जर हथियारों और गोला-बारूद में "विशेषज्ञता" हासिल करने के लिए अप्रैल 2012 में 15 दिनों के लिए पाकिस्तान गया था. राष्ट्रीय जांच एजेंसी के अनुसार, निज्जर शुरू में प्रतिबंधित अलगाववादी समूह, बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) से जुड़ा था.

भारत ने इसे आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध करते हुए कहा है कि उसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस से पैसा मिलता है. भारत ने आधिकारिक तौर पर निज्जर को 2020 में एक नामित आतंकवादी घोषित किया.

पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने 2018 में कनाडा सरकार को वांछित व्यक्तियों की एक सूची दी थी, जिसमें निज्जर का नाम भी शामिल था. बाद में, 2022 में पंजाब पुलिस ने निज्जर के प्रत्यर्पण की मांग की थी.

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