तिरुवनंतपुरम: ऐतिहासिक ‘मूल संरचना सिद्धांत' (Basic Structure Doctrine) के निर्धारण में प्रमुख याचिकाकर्ता रहे धर्मगुरु केशवानंद भारती (Kesavananda Bharati) ने आज (6 सितंबर) दुनिया को अलविदा कह दिया है. स्थानीय मीडिया के मुताबिक केशवानंद भारती का रविवार सुबह केरल (Kerala) के कासरगोड (Kasargod) जिले के एडानेर (Edaneer) स्थित उनके आश्रम में निधन हो गया. वह 79 वर्ष के थे.
साल 1973 में बहुचर्चित केशवानंद भारती केस में शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने लगातार 68 दिन सुनवाई की थी. 13 जजों की संविधान पीठ ने केशवानंद भारती के पक्ष में अपना फैसला सुनाया था. इस फैसले में संविधान पीठ ने संविधान के बुनियादी ढांचे का सिद्धांत प्रतिपादित किया था. केरल में ओलंपियन अंजू बॉबी जार्ज, भारतन नायर के नाम पर सड़क
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जताया दुख-
Anguished by the demise of Swami Kesavananda Bharati Ji, Head of Edneer Mutt at Kerala's Kasaragod. He was a revolutionary Seer who fought in SC in year 1973 which helped define basic rights under the Constitution.
My thoughts and prayers are with his devotees and followers. pic.twitter.com/Ka84ZIuSU1
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) September 6, 2020
केशवानंद भारती ने केरल के भूमि सुधार कानूनों को चुनौती देने वाला मामला दायर किया था. यह कानून भूमिहीनों को भूमि वितरित करने के उद्देश्य से लागू किया गया था. इसके साथ ही केशवानंद ने 29वें संविधान संशोधन को भी चुनौती दी थी, जिसमें केरल भूमि सुधार अधिनियम, 1963 (Kerala Land Reforms Act 1963) को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया गया था. उन्होंने इसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया था.
केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य का केस दुनियाभर में चर्चित रहा था. कहते है केशवानंद भारती ऐसे धर्मगुरु थे जिनकी कोशिशों से भारत का लोकतंत्र और मजबूत हुआ और संसद और न्यायपालिका के बीच संतुलन स्थापित हुआ था. भारत में किस मामले को सर्वोच्च न्यायालय के 13 न्यायाधीशों की सबसे बड़ी संविधान बेंच द्वारा सुनाया गया था. जिससे सरकार से संविधान की रक्षा हुई थी और सुप्रीम कोर्ट ने 'मूल संरचना सिद्धांत' निर्धारित किया था.