Kerala: यह फिल्म नहीं हकीकत है! 43 घंटे से बिना भोजन-पानी के पलक्कड़ की पहाड़ी पर फंसे युवक को सेना ने बचाया, रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे थे 34 जांबाज
केरल (Kerala) में पलक्कड़ (Palakkad) के मलमपुझा इलाके (Malampuzha Mountain) में 43 घंटे से ज्यादा समय से फंसे युवक को सेना ने बचा लिया है. युवक को सुरक्षित बचाने के लिए देर रात सेना के 34 जवान यहां पहुंचे थे. इससे पहले युवक तक पहुंचने के लिए बचावकर्मियों ने तमाम कोशिशें की, लेकिन वें उस तक भोजन और पानी भी उपलब्ध नहीं करा सके.
तिरुवनंतपुरम: केरल (Kerala) में पलक्कड़ (Palakkad) के मलमपुझा इलाके (Malampuzha Mountain) में 43 घंटे से ज्यादा समय से फंसे युवक को सेना ने बचा लिया है. युवक को सुरक्षित बचाने के लिए देर रात सेना के 34 जवान यहां पहुंचे थे. इससे पहले युवक तक पहुंचने के लिए बचावकर्मियों ने तमाम कोशिशें की, लेकिन वें उस तक भोजन और पानी भी उपलब्ध नहीं करा सके. जिसके बाद मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने मामले में हस्तक्षेप किया और युवक बाबू को बचाने के लिए सेना की मदद मांगी. सेना ने आज तड़के 5.45 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया. जबकि निगरानी के लिए ड्रोन का उपयोग भी किया और सुलूर एयरबेस (Sulur Airbase) पर हेलिकॉप्टर स्टैंडबाय पर हैं. अरुणाचल प्रदेश में हिमस्खलन में फंसे सेना के सात जवानों के शव मिले
मुख्यमंत्री के अनुरोध पर सेना के दक्षिणी कमान से विशेष टीमें रवाना की गई. सेना के 12 जवानों की पहली टीम सड़क मार्ग से रात 1:30 बजे ही पहुंच गयी. क्योकि रात में हेलीकॉप्टर से यात्रा करना असंभव था, जबकि पैराशूट रेजिमेंट के 22 जवानों की दूसरी टीम एयरक्राफ्ट से रात 4 बजे पहुंची. विज्ञप्ति में कहा गया है कि पर्वतारोहण और बचाव अभियान में विशेषज्ञता रखने वाली टीम को सेना के बचाव दल में शामिल किया गया है.
स्थानीय लोगों ने बताया कि युवक ने दो अन्य लोगों के साथ सोमवार को चेराड पहाड़ी की चोटी पर चढ़ने का फैसला किया था, लेकिन दो अन्य बीच में ही उतर गये थे. हालांकि बाबू लगातार ऊपर चढ़ता रहा और वहां पहुंचने के बाद फिसल कर गिर गया और पहाड़ के मुहाने पर चट्टानों के बीच फंस गया.
बचाव दल के एक सदस्य के मुताबिक, यहां दिन में गर्मी तेज और असहनीय होती है तो वही शाम और देर रात तक हवा और ठंडी हो जाती है और जंगली जानवरों का भी खतरा बना रहता है जिससे बचाव प्रयासों में मुश्किलें आ सकती हैं.
यह घटना 2010 में बनी एक फिल्म की कहानी की तरह है जिसमें एक व्यक्ति पहाड़ी पर 127 घंटे तक फंसा रहा था. फिल्म की कहानी और इस घटना के बीच का अंतर यह है कि फिल्म में, फंसे हुए व्यक्ति के लिए कोई बचाव प्रयास नहीं किये गये थे क्योंकि कोई नहीं जानता था कि वह कहां था.