Kerala: एक बार फिर इतिहास रचने की दिशा में केरल, देश का पहला और विश्व का दूसरा अत्यधिक गरीबी मुक्त क्षेत्र

तिरुवनंतपुरम, 22 अक्टूबर : केरल (Kerala) ने एक बार फिर इतिहास रचने की दिशा में कदम बढ़ाया है. देश का पहला और विश्व का दूसरा अत्यधिक गरीबी मुक्त क्षेत्र बनने की उपलब्धि हासिल करने जा रहे केरल की इस ऐतिहासिक घोषणा को मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन (Pinarayi Vijayan) 1 नवंबर को तिरुवनंतपुरम के सेंट्रल स्टेडियम में करेंगे. स्थानीय स्वशासन मंत्री एम. बी. राजेश और शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी. इस समारोह में सभी मंत्री, विपक्ष के नेता, और फिल्म अभिनेता कमल हासन, ममूटी, और मोहनलाल मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे. सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ आयोजन की तैयारियों के लिए शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में एक व्यापक समिति गठित की गई है.

नीति आयोग के 2021 के आंकड़ों के अनुसार, केरल में गरीबी दर केवल 0.7 प्रतिशत थी, जो देश में सबसे कम है. 2021 में सत्ता में आई वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में अत्यधिक गरीबी उन्मूलन को प्राथमिकता दी. वैज्ञानिक सर्वेक्षण के जरिए 64,006 अत्यधिक गरीब परिवारों की पहचान की गई, जो भोजन, स्वास्थ्य, आजीविका, और आश्रय जैसे बुनियादी क्षेत्रों में जीवित रहने में असमर्थ थे. प्रत्येक परिवार के लिए अलग-अलग सूक्ष्म योजनाएं तैयार कर सहायता प्रदान की गई. इस अभियान में सरकारी एजेंसियां, स्वयंसेवक, और आम जनता ने एकजुट होकर काम किया. यह भी पढ़ें : Rajdeep Sardesai Reveals Prostate Cancer Battle: मशहूर पत्रकार राजदीप सरदेसाई को हुआ प्रोस्टेट कैंसर, रोबोटिक सर्जरी से जीती जंग

इन परिवारों में कई ऐसे हाशिए पर रहने वाले लोग शामिल थे, जिनके पास न मतदाता सूची में नाम था, न राशन कार्ड, और न ही आधार कार्ड. जांच में पता चला कि 4,421 परिवारों के सदस्यों की मृत्यु हो चुकी है, जबकि 261 खानाबदोश परिवारों का पता नहीं चल सका, जो संभवतः अन्य राज्यों में चले गए. उनके लिए भी सुरक्षा योजनाएं तैयार हैं. 47 परिवारों के सदस्य विभिन्न स्थानीय निकायों में सूचीबद्ध थे, जिनके लिए एक परिवार मानकर योजना बनाई गई. इस तरह, 59,277 परिवारों को अत्यधिक गरीबी से मुक्त कर लिया गया है.

यह उपलब्धि विभिन्न सरकारी योजनाओं के एकीकरण और विशेष सेवाओं के विकास से संभव हुई. सामाजिक अंकेक्षण प्रक्रिया भी पूरी की जा रही है. 1 नवंबर को होने वाला समारोह न केवल इस उपलब्धि का उत्सव होगा, बल्कि केरल के समावेशी विकास मॉडल को भी रेखांकित करेगा. स्थानीय स्वशासन निकायों में भी समानांतर कार्यक्रम आयोजित होंगे.