Kerala High Court: केरल हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास के दो दोषियों को एलएलबी कक्षाओं में ऑनलाइन भाग लेने की दी अनुमति
Kerala High Court (Photo Credit: Wikimedia Commons)

कोच्चि, 7 नवंबर : केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा काट रहे हत्या के दो दोषियों को कारावास के सुधारात्मक और पुनर्वास उद्देश्यों को प्राप्त करने में शिक्षा के महत्व का हवाला देते हुए जेल से ऑनलाइन मोड के माध्यम से एलएलबी कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति दे दी. अदालत की एक खंडपीठ ने कहा,"एक दोषी बुनियादी मानवाधिकारों का हकदार है और उसे जेल में सम्मान के साथ जीने का अधिकार है. कैदियों का शिक्षा का अधिकार गरिमा के अधिकार पर आधारित एक मानव अधिकार है. एक कैदी को भी उतना ही अधिकार है जितना कि एक सामान्‍य व्यक्ति को जेल से बाहर. “

उच्च न्यायालय ने आगे फैसला सुनाया कि कारावास के सुधारात्मक और पुनर्वास उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए शिक्षा तक पहुंच प्रदान करना आवश्यक है. "शिक्षा कैदियों के बीच यह भावना पैदा कर सकती है कि वे व्यापक समुदाय का हिस्सा बने रहें. जेल शिक्षा हिरासत में समय का उद्देश्यपूर्ण उपयोग करते हुए आशा और आकांक्षा का स्रोत प्रदान कर सकती है. इससे उन्हें मुक्त होने के बाद बेहतर जीवन जीने में भी मदद मिलती है." यह भी पढ़ें : Ghaziabad Control Room Women Strike: गाजियाबाद में यूपी-112 के कंट्रोल रूम की महिलाएं हड़ताल पर, रोजाना 25 हजार आती है कॉल्स

दोनों आजीवन दोषियों ने शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के लिए केरल कानून प्रवेश आयुक्त द्वारा आयोजित एलएलबी पाठ्यक्रम के लिए प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की. अदालत ने ऑनलाइन मोड के माध्यम से कक्षाओं में भाग लेने पर सकारात्मक रुख अपनाया. अदालत ने कहा, "जब भी व्यावहारिक प्रशिक्षण या परीक्षाओं में भाग लेने के लिए उनकी शारीरिक उपस्थिति आवश्यक और अपरिहार्य हो, आवेदकों को कॉलेज में शारीरिक रूप से उपस्थित होने की अनुमति दी जा सकती है."

इसलिए, इसने दोनों जेलों के जेल अधीक्षकों और दोनों कॉलेजों के प्राचार्यों को दोनों दोषियों को ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का निर्देश दिया. अदालत ने आगे निर्देश दिया,"जब भी कॉलेज/विश्वविद्यालय द्वारा मूट कोर्ट, सेमिनार, कार्यशाला, इंटर्नशिप कार्यक्रम, परीक्षा या किसी अन्य व्यावहारिक प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए आवेदकों की भौतिक उपस्थिति पर जोर दिया जाता है, तो जेल अधीक्षक को उन्हें आवश्यक अवधि के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है. दो सॉल्वेंट ज़मानत के साथ एक लाख रुपये का बांड निष्पादित करना. आवेदकों को कॉलेज/विश्वविद्यालय से सहायक दस्तावेजों के साथ जेल अधीक्षक के समक्ष इस आशय का एक आवेदन दायर करना होगा.''