Kashi and Mathura Dispute: काशी और मथुरा विवाद पर बोले केंद्रीय मंत्री- अदालत के फैसले का करना चाहिए इंतजार और सम्मान
काशी विश्वनाथ मंदिर (Photo Credits: Wikimedia Commons)

नई दिल्ली, 22 मई : अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य जोर-शोर से जारी है, लेकिन इस बीच काशी और मथुरा के मामले को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. दोनों ही मामलों में अदालत में सुनवाई जारी है, लेकिन इसके बाजवूद बयानबाजी का दौर भी जारी है.

ऐसे में इन दोनों मामलों में भाजपा की भूमिका क्या होने जा रही है? क्या भाजपा की केंद्र सरकार या राज्य सरकार अपने स्तर पर कोई पहल कर सकती है? प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को लेकर भाजपा सरकार की क्या राय है? ऐसे तमाम मुद्दों पर आईएएनएस के वरिष्ठ सहायक संपादक संतोष कुमार पाठक ने एक जमाने में कल्याण सिंह के काफी करीबी रहे और वर्तमान मोदी सरकार में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास एवं सहकारिता राज्य मंत्री के तौर पर कार्य कर रहे बीएल वर्मा के साथ खास बातचीत की.

सवाल - ज्ञानवापी में हुए सर्वे की रिपोर्ट को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष आमने-सामने हैं और कई तरह के बयान सामने आ रहे हैं? आप इस पूरे विवाद को कैसे देखते हैं ?

जवाब - देखिए, हम सब जानते हैं कि ज्ञानवापी मामला कोर्ट में है और हम सबको अदालत के फैसले का सम्मान करना चाहिए. जिस तरह से वहां शिवलिंग और हिंदू संस्कृति के अन्य चिन्ह मिले हैं, उससे सब अपने आप स्पष्ट हो जाता है. हम सब जानते हैं कि हमारा देश लंबे समय तक मुगलों के अधीन रहा, यहां बाबर जैसे आक्रांता आए, उनके और लोग आए जिन्होंने हमारी संस्कृति को मिटाने की कोशिश की, मंदिरों को तोड़ा जिसमें अयोध्या और काशी भी शामिल थे. अब सत्य सामने आ गया है और मुझे लगता है कि इस मामले में अदालत का निर्णय भी सकारात्मक आएगा और हम सबको अदालत का सम्मान करना चाहिए.

सवाल - मुस्लिम पक्ष और असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देकर कह रहे हैं कि ज्ञानवापी मस्जिद में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता.

जवाब - ओवैसी कुछ भी कहे, यह देश संविधान और कानून से चलता है. इसलिए उनके बयानों से यह देश चलने वाला नहीं है. वो भड़काने वाली बात करते हैं लेकिन उत्तर प्रदेश के हिंदू और मुसलमान सब समझदार हैं और उनके भड़कावे में आने वाले नहीं हैं. लेकिन फिर भी अगर इस तरह का कृत्य जारी रहा तो कानून अपना काम करेगा.

सवाल - लेकिन वो प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देते हुए कह रहे हैं कि ज्ञानवापी में कोई बदलाव या छेड़छाड़ नहीं नहीं हो सकती है?

जवाब - कौन बदलाव कर रहा है? कौन छेड़छाड़ कर रहा है? कोई नहीं कर रहा है, जो कुछ भी हो रहा है वो अदालत के आदेश पर हो रहा है. अदालत में बैठे लोगों से ज्यादा कानून के ज्ञाता हम लोग नहीं हो सकते हैं. इसलिए अदालत ने अब तक जो भी फैसला दिया है या भविष्य में देंगे वो नियमों और कानून के अनुसार ही होगा. हम सबको कोर्ट के फैसले का इंतजार और सम्मान करना चाहिए.

सवाल - लेकिन अखिलेश यादव तो इस विवाद के लिए आपको (भाजपा) ही जिम्मेदार बता रहे हैं?

जवाब - अखिलेश यादव मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करते रहे हैं. पहले उनके पिता मुलायम सिंह यादव करते थे और आजकल अखिलेश कर रहे हैं. जो बयान उन्होंने दिया है वो अपने आप में ओछा बयान है. इसका मतलब बिल्कुल साफ है कि हिंदू धर्म या हिंदू संस्कृति में उनकी कोई आस्था नहीं है और वो सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं कि कैसे मुस्लिम उनसे खुश रहें और वो कैसे हिंदुओं की भावना को आहत करें. इसका खामियाजा उन्हें पहले भी भुगतना पड़ा है और आने वाले दिनों में भी भुगतना पड़ेगा.

सवाल - लेकिन विरोधी दल तो आप पर आरोप लगा रहे हैं कि आप लोग असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए जानबूझकर इस तरह का विवाद खड़ा कर रहे हैं ?

जवाब - उनको यह मालूम होना चाहिए कि सबका साथ-सबका विकास के मंत्र को लेकर भाजपा की सरकारें बिना किसी भेदभाव के सबके कल्याण के लिए काम कर रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश तेजी से आगे बढ़ रहा है. लेकिन उन्हें विपक्ष में होने के कारण कुछ न कुछ बोलना है और वो बोल रहे हैं हालांकि ये जनता है, जो सब कुछ जानती है.

सवाल - आपने कहा कि मामला अदालत के विचाराधीन है. अदालत किस तरह से इस विवाद का समाधान करेगी या कर सकती है, इसे लेकर आपकी क्या राय है?

जवाब - देखिए, हम लंबे समय तक गुलाम रहे और जिन्होंने हमें गुलाम बनाया वो आज नहीं हैं लेकिन इसके बावजूद कुछ लोग आज भी उन लोगों को अपना आइकॉन मानते हैं और उनके आधार पर चलना चाहते हैं, यह देश का दुर्भाग्य है. जहां तक समाधान की बात है, हम बिना किसी जोर-जबरदस्ती के कोर्ट द्वारा समाधान चाहते हैं इसलिए कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं.

सवाल - आपकी पार्टी ( भाजपा) ने 1989 के पालमपुर अधिवेशन में प्रस्ताव पारित कर रामजन्मभूमि आंदोलन का खुल कर समर्थन करने का फैसला किया था. मथुरा और काशी विवाद पर भाजपा क्या करेगी?

जवाब - देखिए, अयोध्या- काशी और मथुरा भाजपा के लिए आस्था का प्रतीक है. अन्य दल इस पर वोट की राजनीति करते है लेकिन भाजपा नहीं.

सवाल - काशी और मथुरा के विवाद पर आपकी पार्टी क्या करने जा रही है ?

जवाब - हमने यह साफ कर दिया है कि मामला अदालत के विचाराधीन है और कोर्ट का जो भी निर्णय आएगा वो हमें स्वीकार होगा. हम अन्य नेताओं की तरह तुष्टिकरण के मद्देनजर बयानबाजी नहीं करते हैं.

सवाल - आपकी सरकार ने धारा 370 को खत्म कर दिया, 1500 गैरजरूरी पुराने कानूनों को समाप्त किया. इसे देखते हुए अब यह मांग भी की जा रही है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को समाप्त कर दिया जाए या इसमें बदलाव लाया जाए?

जवाब - देश हित में जो सही होता है और जो नियमानुसार संवैधानिक तरीके से हमारी सरकार को करना चाहिए वो हमारी सरकार करती है.

सवाल - प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को रद्द करेंगे या इसमें बदलाव लाएंगे?

जवाब - इस विषय पर मैं फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं करूंगा, बस इतना ही कहूंगा भाजपा सरकार संवैधानिक तरीके से कार्य करती है.