Jharkhand: नक्सली हिंसा के लिए बदनाम रहे खूंटी को नयी पहचान दे रही फूलों की खेती
ऐसे में इन किसानों को पूरी उम्मीद है कि फूलों की बंपर बिक्री से अच्छी कमाई होगी. फूल की खेती के लिए बीज-पौधे उपलब्ध कराने से लेकर उत्पादित फसल को बाजार तक पहुंचाने में राज्य सरकार की एजेंसियां किसानों की मदद कर रही हैं. कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी इन्हें प्रशिक्षण और सहायता की पहल की है.
रांची, 5 नवंबर: नक्सली हिंसा (Naxalite Violence) के लिए बदनाम रहे खूंटी जिले में दर्जनों गांव फूल की खुशबू से महक रहे हैं. जिले में इस साल लगभग दो सौ एकड़ क्षेत्र में गेंदा फूल और लेमन ग्रास की खेती हुई है. सबसे खास बात यह है कि ज्यादातर गांवों में खुशहाली की इस खेती की अगुवाई महिला किसान (Farmer) कर रही हैं. अभी-अभी गुजरी दीपावली (Diwali) में रांची (Ranchi), खूंटी, जमशेदपुर (Jamshedpur) सहित कई शहरों में इनकी बगियों के फूल खूब बिके. आगे काली पूजा (Kali Puja), सोहराई (Sohrai), छठ (Chhath), क्रिसमस (Christmas) जैसे त्योहारों की पूरी श्रृंखला है और शादी-विवाह का मौसम भी. भविष्य में ग्लोबल वार्मिंग में थोड़ी कमी आ सकती है: वैज्ञानिक विश्लेषण
ऐसे में इन किसानों को पूरी उम्मीद है कि फूलों की बंपर बिक्री से अच्छी कमाई होगी. फूल की खेती के लिए बीज-पौधे उपलब्ध कराने से लेकर उत्पादित फसल को बाजार तक पहुंचाने में राज्य सरकार की एजेंसियां किसानों की मदद कर रही हैं. कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी इन्हें प्रशिक्षण और सहायता की पहल की है. इस साल खूंटी जिले के चार प्रखंडों खूंटी, मुरहू, तोरपा और अड़की में गेंदा फूल के लगभग 15 लाख पौधे लगाये गये. झारखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और स्वयंसेवी संस्था प्रदान ने महिलाओं को फूल की खेती के तौर-तरीके बताये.
उन्हें पौधे उपलब्ध कराये गये. महिलाओं ने खासा उत्साह दिखाया. झारखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मदद से इस साल 397 महिला किसान फूल की खेती के इस अभियान से जुड़ीं और इस दीपावली में उनके खेतों से निकले फूल शहर के बाजारों तक पहुंचे. इन्होंने लगभग 70 एकड़ क्षेत्र में फूल के पौधे लगाये हैं. इसी तरह प्रदान नामक स्वयंसेवी संस्था ने 1100 महिला किसानों को फूलों की खेती से जोड़ा. संस्था का अनुमान है कि 170 एकड़ से भी ज्यादा क्षेत्रफल में हुई फूलों की खेती की बदौलत जिले में त्योहारी मौसम में लगभग 50 लाख रुपये का कारोबार होगा.
उम्मीद की जा रही है कि अगले साल फूलों की खेती करनेवाले किसानों की संख्या दोगुनी हो जायेगी. लक्ष्मी आजीविका सखी मंडल से जुड़ी लोआगड़ा गांव निवासी आरती देवी ने लगभग एक एकड़ जमीन पर फूल की खेती की है. वह कहती हैं कि इस दुगार्पूजा और दीपावली पर हमने लगभग डेढ़ हजार से ज्यादा फूल मालाएं बाजार में बेचीं. इसके पहले किसी भी फसल की खेती से हमारे पास इतने नगद पैसे नहीं आते थे.
खूंटी के उपायुक्त शशि रंजन का कहना है कि गेंदा फूल और लेमन ग्रास की खेती से जिले के गांवों में जो बदलाव दिख रहा है, वह बेहद सकारात्मक है. हमारी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इससे जोड़ा जाये. इससे न सिर्फ उनकी जिंदगी बदल रही है, बल्कि जिले को भी एक नयी और सकारात्मक पहचान मिल रही है.
बता दें कि झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 30 किलोमीटर खूंटी नक्सली हिंसा के लिए बदनाम रहा है. 2535 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला खूंटी जिला 12 सितंबर 2007 को वजूद में आया था. जिला बनने के बाद यहां नक्सली हिंसा में डेढ़ सौ से ज्यादा लोग मारे गये हैं. माओवादियों के साथ-साथ पीएलएफआई नामक एक प्रतिबंधित आपराधिक गिरोह की हिंसा में हर साल दर्जनों हत्याएं होती हैं. पिछले कुछ वर्षों से हिंसा प्रभावित इस जिले की पहचान बदलने की कोशिश शिद्दत के साथ शुरू हुई है. फूलों की खेती इसी बदलाव की एक बानगी है.