श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के पहले संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के टॉपर शाह फैसल बढ़ते रेप की घटनाओं पर किए गए अपने ट्वीट की वजह से फंसते नजर आ रहे है. जम्मू-कश्मीर सरकार ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी है. फैसल फिलहाल अमेरिका के हावर्ड विश्वविद्यालय से परास्नातक कर रहे हैं.
सामान्य प्रशासन विभाग ने फैसल को नोटिस भेजा है और उनके व्यवहार को अनुचित बताया है. कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की फैसल के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने के बाद राज्य प्रशासन विभाग ने 2010 के भारतीय प्रशासनिक सेवा के टॉपर को नोटिस भेजा.
2010 बैच के आईएएस टॉपर शाह फैसल ने रेप की घटनाओं के संबंध में ट्वीट किया था कि “जनसंख्या + पितृसत्ता + निरक्षरता + शराब + पॉर्न + तकनीक + अराजकता = रेपिस्तान.”
फैसल ने ट्विटर पर नोटिस को शेयर करते हुए लिखा, "दक्षिण एशिया में रेप के चलन के खिलाफ मेरे व्यंग्यात्मक ट्वीट के एवज में मुझे मेरे बॉस से प्रेम पत्र मिला. सबसे दुखद बात तो यह है कि भारत में सर्विस के कायदे आज भी औपनिवेशिक तरीके के हैं. औपनिवेशिक मंशा वाले कानूनों का उद्देश्य मुखर आवाजों की स्वतंत्रता पर हमला करना है."
अपने बचाव में फैसल ने कहा, "सरकारी कर्मचारियों को सरकारी नीति की आलोचना के लिए घसीटा जा सकता है, मैं इस बात से सहमत हूं. लेकिन, इस मामले में अगर आपको लगता है कि दुष्कर्म केवल सरकारी नीति का हिस्सा है तो आप मेरे खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं जिसे लेकर मुझे यकीन है कि यह सरकारी नीति नहीं है."
Love letter from my boss for my sarcastic tweet against rape-culture in South Asia.
The Irony here is that service rules with a colonial spirit are invoked in a democratic India to stifle the freedom of conscience.
I'm sharing this to underscore the need for a rule change. pic.twitter.com/ssT8HIKhIK
— Shah Faesal (@shahfaesal) July 10, 2018
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि हमें यह समझने की जरूरत है कि सरकारी कर्मचारी समाज में रहते हैं और वे समाज के नैतिक प्रश्नों से पूरी तरह से अलग-थलग नहीं रह सकते हैं. बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक पूरी तरह से अस्वीकार्य है."
pic.twitter.com/aIE2M8BmpR— Shah Faesal (@shahfaesal) July 10, 2018
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के नियम के मुताबिक एक सरकारी अधिकारी को ऐसा करने की इजाजत नहीं है. हालांकि कई अधिकारी देश के विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय देते रहे हैं.