श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में सियासी हलचल बढ़ गई है. उम्मीद जताई कि जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द चुनाव होंगे. जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए चुनाव आयोग (EC) की एक टीम आज श्रीनगर पहुंची. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव लंबे समय से लंबित हैं और सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव कराने के लिए 30 सितंबर की समय सीमा तय की है. सरकार के सूत्रों का कहना है कि चुनाव आयोग जल्द केंद्र शासित प्रदेश के लिए चुनाव की तारीखों की घोषणा करेगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर से पहले जम्मू और कश्मीर में चुनाव कराने की समय सीमा तय की थी.
मुख्य चुनाव आयोग राजीव कुमार की अध्यक्षता वाली टीम जम्मू-कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर है और उसने जम्मू-कश्मीर के सभी 20 जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से मिलने से पहले राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए बैठकें शुरू कर दी हैं. राजनीतिक दलों के साथ बैठक के अलावा आयोग मुख्य निर्वाचन अधिकारी और केंद्रीय बल समन्वयक के साथ भी स्थिति की समीक्षा करेगा.
निर्वाचन आयोग के सदस्यों की तीन दिवसीय यात्रा का समापन 10 अगस्त को जम्मू में होगा, जहां वे प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समीक्षा बैठक करेंगे. जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनावों में रिकॉर्ड मतदान के बाद, कुमार ने कहा था, ‘‘यह सक्रिय भागीदारी जल्द ही होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए एक बहुत बड़ी सकारात्मक बात है ताकि केंद्र शासित प्रदेश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया जारी रहे.’’
2014 के बाद से नहीं हुआ चुनाव
जम्मू और कश्मीर में दस साल के अंतराल के बाद चुनाव होने जा रहे हैं. यहां पिछला विधानसभा चुनाव 2014 में हुआ था. जम्मू-कश्मीर जून 2018 से केंद्र के शासन के अधीन है और अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के तहत इसका विशेष दर्जा रद्द कर दिया गया था, जिससे इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था.
2019 के बाद से चुनाव निकाय का जम्मू-कश्मीर का यह तीसरा दौरा है. इससे पहले, चुनाव आयोग की टीम 2019 और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारियों का जायजा लेने आई थी. दोनों बार, चुनाव आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश में एक साथ चुनाव कराने से इनकार कर दिया था.