'डेढ़ साल में पहली बार हंसी हूं, सीने से बोझ हट गया,' सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोलीं बिलकिस बानो
गुजरात में 2002 में हुए दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार की शिकार हुईं बिलकीस बानो ने 11 दोषियों की सजा माफ करने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द करने संबंधी उच्चतम न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि न्याय ऐसा ही महसूस होता है.
नयी दिल्ली, 8 जनवरी: गुजरात में 2002 में हुए दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार की शिकार हुईं बिलकीस बानो ने 11 दोषियों की सजा माफ करने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द करने संबंधी उच्चतम न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि न्याय ऐसा ही महसूस होता है.
गुजरात सरकार के सजा में छूट देने के फैसले को रद्द करते हुए शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने बिना सोचे समझे आदेश जारी किया.
अपनी वकील शोभा गुप्ता के माध्यम से जारी एक बयान में, बानो ने फैसले के लिए शीर्ष अदालत को धन्यवाद दिया और कहा, "आज मेरे लिए वास्तव में नया साल है.” उन्होंने कहा, "इस राहत से मेरी आंखों में खुशी के आंसू छलक आए. मैं डेढ़ साल से अधिक समय में पहली बार मुस्कुरा पाई हूं. मैंने अपने बच्चों को गले लगा लिया. ऐसा लगता है जैसे पहाड़ के आकार का पत्थर मेरे सीने से हटा दिया गया है, और मैं फिर से सांस ले सकती हूं.” बिलकिस बानो के बलात्कारियों की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट ने ठहराया गलत
बानो ने कहा, "न्याय ऐसा ही महसूस होता है. मुझे, मेरे बच्चों और हर जगह की महिलाओं सभी को समान न्याय प्रदान करने का वादा करके यह समर्थन और आशा देने के लिए मैं भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय को धन्यवाद देती हूं." गुजरात सरकार पर अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए उच्चतम न्यायालय ने 11 दोषियों को दो सप्ताह में जेल वापस जाने का भी निर्देश दिया.
बयान में बानो ने यह भी कहा कि उनके जैसा संघर्ष कभी अकेले नहीं किया जा सकता.
उन्होंने कहा, “मेरे साथ मेरे पति और मेरे बच्चे हैं. मेरे पास मेरे दोस्त हैं जिन्होंने मुझे इतनी नफरत के समय में बहुत प्यार दिया है, और हर मुश्किल मोड़ पर मेरा हाथ थामा है. मेरे पास एक असाधारण वकील हैं, एडवोकेट शोभा गुप्ता, जो 20 से अधिक वर्षों तक मेरे साथ रही हैं और जिन्होंने मुझे न्याय के बारे में कभी उम्मीद नहीं खोने दी.''
उन्होंने कहा कि “डेढ़ साल पहले, 15 अगस्त, 2022 को, जब उन लोगों को, जिन्होंने मेरे परिवार को तबाह कर दिया था और मेरे अस्तित्व को आतंकित कर दिया था, जल्दी रिहाई दे दी गई, तो मैं टूट गई थी.” बानो ने कहा कि उन्हें लगा कि उनका “साहस" ख़त्म हो चुका है, हालांकि इस बीच लोगों ने उनका समर्थन किया.
बानो ने कहा, “भारत के हजारों आम लोग और महिलाएं आगे आईं. वे मेरे साथ खड़े हुए, मेरा साथ दिया और उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर की. पूरे देश से 6,000 लोगों और मुंबई से 8,500 लोगों ने अपीलें लिखीं, 10,000 लोगों ने एक खुला पत्र लिखा. कर्नाटक के 29 जिलों के 40,000 लोगों ने भी ऐसा ही किया.”
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