मां के एक्सीडेंट के बाद भी नहीं मिली वर्क फ्रॉम होम की इजाजत; इंटरनेट पर छिड़ी कॉरपोरेट कल्चर पर बहस
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बेंगलुरु में एक आईटी प्रोफेशनल के साथ हुआ एक मामला इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल, एक महिला कर्मचारी ने अपनी मां के सड़क हादसे में घायल होने के बाद कंपनी से एक महीने तक घर से काम (Work From Home) की अनुमति मांगी थी, लेकिन कंपनी ने यह अनुरोध ठुकरा दिया. इसके बाद यह मामला ऑनलाइन वायरल हो गया और लोगों ने भारत के कॉरपोरेट वर्क कल्चर पर तीखी प्रतिक्रिया दी.

रेडिट फोरम पर शेयर की गई एक पोस्ट के अनुसार, महिला की मां और मामा स्कूटर से जा रहे थे, तभी एक सड़क दुर्घटना में दोनों घायल हो गए. मां का हाथ टूट गया जबकि मामा के चेहरे और हाथ में चोट और सूजन आ गई. ऐसे में महिला ने कंपनी से एक महीने तक घर से काम करने की अनुमति मांगी ताकि वह अपनी मां की देखभाल कर सके.

महिला ने कंपनी को अस्पताल और पुलिस रिपोर्ट जैसे जरूरी डॉक्यूमेंट्स भी भेजे थे. लेकिन इसके बावजूद कंपनी ने उसकी वर्क फ्रॉम होम की रिक्वेस्ट रिजेक्ट कर दी.

हादसे के बाद मां की देखभाल के लिए मांगा वर्क फ्रॉम होम

Indian work culture is actually insane

byu/fayazara inindia

कंपनी का रवैया बना चर्चा का विषय

महिला के देवर ने रेडिट पर लिखा, “कंपनी ने प्रूफ मांगा, उसने MRI स्कैन और पुलिस रिपोर्ट भेज दी. इसके बाद भी उन्होंने मीटिंग बुलाकर कहा कि टीम में बैंडविड्थ कम है, इसलिए वर्क फ्रॉम होम नहीं दिया जा सकता.” महिला ने यह भी बताया कि महिला ने छुट्टी नहीं, बल्कि सिर्फ घर से काम करने की अनुमति मांगी थी, क्योंकि उसका काम ऑफिस में मौजूद रहे बिना भी हो सकता है.

घायल मामा को भी नहीं मिली राहत

पोस्ट में बताया गया कि दुर्घटना में घायल मामा को भी सिर्फ दो दिन की छुट्टी दी गई. इसके बाद उनसे ऑफिस आने को कहा गया, जबकि अभी भी उन्हें दर्द हो रहा है. अब उनका छोटा भाई रोज उन्हें ऑफिस छोड़ने और लाने का काम कर रहा है.

कॉरपोरेट में इंसानियत की कमी; फूटा लोगों का गुस्सा

इस पोस्ट के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने कंपनी के रवैये की जमकर आलोचना की. कई यूज़र्स ने अपने भी ऐसे ही अनुभव शेयर किए और भारतीय कॉरपोरेट सेक्टर में संवेदनशीलता की कमी पर सवाल उठाए.

एक यूज़र ने लिखा, “ये देखकर बहुत दुख हुआ. जब किसी को सच में मदद की ज़रूरत होती है, तब कंपनी सिर्फ ‘नीतियों’ की आड़ में मानवीयता को भूल जाती है.” एक अन्य यूजर ने कहा,“वर्क फ्रॉम होम कोई सुविधा नहीं, बल्कि कई परिस्थितियों में जरूरत होती है. खासकर जब परिवार में मेडिकल इमरजेंसी हो.”

भारत में कॉरपोरेट कल्चर पर बहस तेज

इस घटना ने भारत में कॉरपोरेट कंपनियों के कठोर रवैये और संवेदनहीन नीतियों को लेकर बहस छेड़ दी है. कई लोगों का कहना है कि महामारी के बाद जब वर्क फ्रॉम होम का चलन बढ़ा है, तो कंपनियों को इंसानियत को नीतियों से ऊपर रखना चाहिए.