कल यानी 2 नवंबर 2025 का दिन भारत के लिए बहुत बड़ा है. हमारे सबसे ताकतवर रॉकेट, LVM3 (लॉन्च व्हीकल मार्क-3), अपनी पांचवीं उड़ान भरने के लिए तैयार है. इस मिशन का नाम LVM3-M5 है. यह वही 'बाहुबली' रॉकेट है जिसने चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक चांद तक पहुंचाया था.
इस बार यह रॉकेट अपने साथ भारत का अब तक का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट CMS-03 लेकर जा रहा है. यह लॉन्च शाम 5:26 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से होगा.
क्या है CMS-03 सैटेलाइट?
CMS-03 एक बहुत खास सैटेलाइट है, जिसका वजन करीब 4400 किलोग्राम है. यह भारत से लॉन्च होने वाला सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट होगा.
- किसके लिए है: यह सैटेलाइट खासतौर पर भारतीय नौसेना (Indian Navy) के लिए बनाया गया है.
- क्या करेगा: यह नौसेना के लिए 'समुद्र की तीसरी आंख' की तरह काम करेगा.
- क्या फायदा होगा:
- दुश्मनों पर नजर: समुद्र में दुश्मनों की हर हरकत पर रियल-टाइम में नजर रखी जा सकेगी.
- तेज बातचीत: नौसेना के अलग-अलग जहाजों के बीच संपर्क बहुत तेज और सुरक्षित हो जाएगा.
- पक्की सुरक्षा: हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी जैसे बड़े समुद्री इलाकों में हमारी निगरानी कई गुना बढ़ जाएगी.
'ऑपरेशन सिंदूर' से क्या है इसका कनेक्शन?
आपको इसी साल मई 2025 में हुआ 'ऑपरेशन सिंदूर' याद होगा. यह एक बड़ा सैन्य अभियान था जिसने भारत की ताकत तो दिखाई, लेकिन एक बड़ी सीख भी दी.
Meet #LVM3M5, India’s operational heavy-lift launcher. Height: 43.5 m | Lift Off Mass: 642 t | Stages: 2×S200 Solid, L110 Liquid, C25 Cryogenic.
LIFT-OFF at
🗓️ 2 Nov 2025 (Sunday) 🕔5:26 PM IST
For more Information Visithttps://t.co/hNtrA0eQXK pic.twitter.com/O2jIZrNOyL
— ISRO (@isro) October 30, 2025
इस ऑपरेशन के दौरान यह महसूस किया गया कि हमारी तीनों सेनाओं (जल, थल, वायु) के बीच कम्युनिकेशन और भी तेज और बेहतर होना चाहिए. पुराने सैटेलाइट्स की वजह से जानकारी के लेन-देन में थोड़ी देरी हो रही थी.
CMS-03 सैटेलाइट उसी कमी को पूरा करने के लिए भेजा जा रहा है. यह एक बड़े 'स्पाई सैटेलाइट' प्रोजेक्ट का हिस्सा है. यह नौसेना को ऐसा तगड़ा और सुरक्षित कम्युनिकेशन सिस्टम देगा, जिसे दुश्मन जाम नहीं कर पाएंगे.
आसान भाषा में कहें तो, अगर भविष्य में 'ऑपरेशन सिंदूर 2.0' जैसा कोई अभियान होता है, तो यह सैटेलाइट पक्का करेगा कि हमारी नौसेना, वायुसेना और थल सेना एक-दूसरे से बिना किसी रुकावट के जुड़ी रहें. यह सैटेलाइट नौसेना को एक डिजिटल कवच देगा.
लॉन्च की तैयारी पूरी
ISRO के वैज्ञानिक दिन-रात इस मिशन में लगे हैं.
- 20 अक्टूबर को रॉकेट और सैटेलाइट को जोड़ दिया गया था.
- 26 अक्टूबर को इसे लॉन्च पैड पर ले जाया गया.
- अभी ईंधन भरने और आखिरी जांच का काम चल रहा है.
अगर सब कुछ प्लान के मुताबिक रहा, तो कल शाम भारत अंतरिक्ष में एक और बड़ी कामयाबी हासिल करेगा. आप इस लॉन्च को ISRO के यूट्यूब चैनल पर लाइव देख सकते हैं.












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