Chandrayaan-3 Mission Update: चंद्रयान-3 मिशन का ताजा अपडेट सामने आया है. ISRO ने कहा कि चंद्रयान-3 ने ऑर्बिट राइजिंग मैन्यूरिंग (Earth-Bound Perigee Firing) को ISTRAC/ISRO, बेंगलुरु से सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान सगंठन (ISRO) का चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) अपने मिशन पर सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है. अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि अगली फायरिंग, ट्रांसलूनर इंजेक्शन (TLI), 1 अगस्त, 2023 को भारतीय समय अनुसार 12 बजे से 1 बजे के बीच करने की योजना है. VIDEO: फिर से इतिहास रचने को तैयार है ISRO, एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में ले जाने वाले गगनयान के SMPS का सफल परीक्षण.
इससे पहले इसरो ने 20 जुलाई को चंद्रयान-3 की चौथी कक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया था. चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई को सफलता पूर्वक प्रक्षेपित किया गया था. ऐतिहासिक ‘चंद्रयान-3’ मिशन 40 दिन के महत्वपूर्ण चरण से गुजरेगा और अंतत: चंद्रमा की सतह पर ‘लैंडिंग’ के लिए इसमें लगे ‘थ्रस्टर्स’ की मदद से इसे पृथ्वी से दूर ले जाया जाएगा.
Chandrayaan-3 मिशन अपडेट
Chandrayaan-3 Mission: The orbit-raising maneuver (Earth-bound perigee firing) is performed successfully from ISTRAC/ISRO, Bengaluru... The next firing, the TransLunar Injection (TLI), is planned for August 1, 2023, between 12 midnight and 1 am IST: ISRO pic.twitter.com/eiCscc41Uq
— ANI (@ANI) July 25, 2023
कहां पहुंचा चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 फिलहाल पृथ्वी के चक्कर काट रहा है. मंगलवार को पांचवें मैनूवर के बाद, यह आखिरी कक्षा में पहुंच गया है. ISRO के अनुसार, चंद्रयान-3 के 127609 km x 236 km ऑर्बिट में पहुंचने की उम्मीद है. धरती की कक्षा में पांचवें मैनूवर को बेंगलुरु के इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISTRAC) से सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया.
1 अगस्त की रात को चंद्रयान-3 के पृथ्वी की कक्षा से निकलकर चांद की ओर रवाना होने की उम्मीद है. इसके बाद यह चांद की कक्षा में पहुंच उसके चक्कर लगाना शुरू करेगा. लैंडर मॉड्यूल 23 अगस्त को चांद की सतह पर उतरेगा. इस दौरान सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश की जाएगी.
ISRO रचेगा इतिहास
चंद्रयान-3 अपने साथ कई उपकरणों को ले जा रहा है, जो वैज्ञानिकों को चंद्रमा को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे. इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कराना है. भारत अपने इस मिशन के साथ एक नया इतिहास रचने जा रहा है.
इसरो के मिशन मून के तहत यान 40 दिन की अपनी यात्रा में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर एक बार फिर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास करेगा जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है. चांद की सतह पर अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर चुके हैं लेकिन उनकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर नहीं हुई थी.