Donald Trump Wins US President Polls: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जीत हासिल की है. ट्रंप ने इस ऐतिहासिक जीत को अमेरिकी गौरव को फिर से जीवंत करने का अवसर बताया और अपने ‘स्वर्ण युग’ के वादे के साथ देश को जोड़ने और प्रगति की राह पर ले जाने की बात कही. ट्रंप के इस नए कार्यकाल का असर भारत-अमेरिका रिश्तों पर भी देखने को मिल सकता है. पीएम नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच पहले से ही एक गर्मजोशी भरा रिश्ता रहा है. ‘हाउडी मोदी’ और ‘नमस्ते ट्रम्प’ जैसे इवेंट्स से लेकर कई द्विपक्षीय बैठकों तक, दोनों नेताओं ने मजबूत रिश्ते का प्रदर्शन किया है.
अब ट्रंप के नेतृत्व में फिर से भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी, व्यापारिक सहयोग, और रक्षा क्षेत्र में घनिष्ठता बढ़ने की उम्मीद है. खासकर चीन के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से.
'अमेरिका फर्स्ट' के रुख पर हो सकता है टकराव
हालांकि, पिछले कार्यकाल के दौरान ट्रंप का 'अमेरिका फर्स्ट' का रुख और व्यापार पर उनका जोर दोनों देशों के बीच कुछ आर्थिक टकराव पैदा कर सकता है. अगर ट्रंप अपने पिछले रुख पर कायम रहते हुए भारत से आयात पर कर बढ़ाने की कोशिश करते हैं, तो इससे भारत के आईटी, दवा और वस्त्र उद्योग को नुकसान हो सकता है. लेकिन चीन को रोकने के ट्रम्प के इरादे भारत को अमेरिकी निवेश आकर्षित करने और खुद को एक वैकल्पिक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने का एक अच्छा अवसर भी दे सकते हैं.
प्रवासन और कार्यबल पर असर
ट्रंप के पिछले कार्यकाल में सख्त प्रवासन नीतियों का भारतीय पेशेवरों पर बड़ा प्रभाव पड़ा था. अगर ट्रंप फिर से H-1B वीजा धारकों पर सख्ती और वेतन की शर्तों को कड़ा करते हैं, तो इससे भारतीय कामगारों को अमेरिका में काम करने में कठिनाइयां हो सकती हैं. यह न केवल व्यक्तिगत स्तर पर प्रभाव डालेगा, बल्कि उन उद्योगों को भी चुनौती देगा जो भारतीय पेशेवरों पर निर्भर हैं.
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रक्षा और रणनीतिक साझेदारी
रक्षा क्षेत्र भारत-अमेरिका संबंधों का मुख्य आधार है. दोनों देशों ने क्रिटिकल और इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज की पहल और रक्षा सौदों में भागीदारी की है. ट्रंप के नेतृत्व में इस क्षेत्र में मजबूत संबंध बने रह सकते हैं. उनके पहले कार्यकाल में क्वाड की स्थापना हुई और अब ट्रंप का फिर से राष्ट्रपति बनना रक्षा सहयोग को और बढ़ावा दे सकता है. इसमें भारत के साथ रक्षा उपकरणों की बिक्री और संयुक्त सैन्य अभ्यास शामिल हैं.