SEBI का नया प्रस्ताव, सेकेंडरी मार्केट ट्रेडिंग के लिए UPI ब्लॉक मैकेनिज्म अनिवार्य, पढ़े पूरी डिटेल

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव प्रस्तुत किया है, जिसके तहत योग्य स्टॉक ब्रोकरों (क्यूएसबी) को सेकेंडरी मार्केट में ट्रेडिंग के लिए अनिवार्य रूप से यूपीआई ब्लॉक मैकेनिज्म सुविधा प्रदान करनी होगी. यह सुविधा मौजूदा एएसबीए (एप्लिकेशन सपोर्टेड बाय ब्लॉक्ड अमाउंट) सुविधा के समान होगी.

यूपीआई ब्लॉक मैकेनिज़म क्या है? What is UPI block mechanism?

यूपीआई ब्लॉक मैकेनिज्म  एक ऐसी प्रणाली है जो ट्रेडिंग के दौरान निवेशकों के फंड्स को ब्लॉक कर देती है, ताकि लेन-देन पूरी तरह से सुरक्षित और नियामित हो सके. इससे निवेशक के पैसे को सिर्फ तभी इस्तेमाल किया जा सकता है जब ट्रांजैक्शन पूरा हो जाता है. इस प्रणाली की पेशकश करने के लिए सेबी ने स्टॉक ब्रोकरों से सुझाव मांगे हैं कि वे एएसबीए जैसी सुविधा को अनिवार्य रूप से लागू करें.

एएसबीए और यूपीआई ब्लॉक मैकेनिज़म की तुलना

एएसबीए एक ऐसी सुविधा है जो प्राथमिक बाजार में उपयोग की जाती है, जिसमें निवेशक के फंड्स तब तक ब्लॉक रहते हैं जब तक आवंटन पूरा नहीं हो जाता. यह सुविधा ग्राहक के फंड्स और सिक्योरिटीज़ की सुरक्षा को बढ़ाती है. सेबी का उद्देश्य इस सुरक्षा को सेकेंडरी मार्केट में भी लागू करना है, ताकि निवेशकों के फंड्स की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

क्यूएसबी के लिए प्रस्ताव

क्यूएसबी वे ब्रोकर होते हैं जिन्हें उनके ऑपरेशंस के आकार और स्केल के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है. इसमें सक्रिय क्लाइंट्स की संख्या, कुल एसेट्स, क्लाइंट्स के साथ कुल मार्जिन, और ट्रेडिंग वॉल्यूम शामिल होते हैं. क्यूएसबी बनने के साथ-साथ ब्रोकरों की जिम्मेदारियां और दायित्व भी बढ़ जाते हैं.

सार्वजनिक सुझाव और प्रतिक्रियाएं

सेबी ने 12 सितंबर तक सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए सुझाव आमंत्रित किए हैं. इस प्रस्ताव पर जनता की राय जानने के बाद, सेबी अपनी अंतिम योजना तैयार करेगा.

भविष्य की दिशा

जनवरी 2019 में, सेबी ने यूपीआई के साथ फंड ब्लॉकिंग की सुविधा को आईपीओ के लिए एक भुगतान तंत्र के रूप में पेश किया था. जनवरी 2024 में, सेबी ने सेकेंडरी मार्केट ट्रेडिंग के लिए एक सप्लीमेंटरी मैकेनिज़म को भी पेश किया, जिसमें एक ही ब्लॉक और कई डेबिट की सुविधा शामिल है.

इस प्रस्तावित व्यवस्था से निवेशकों को अधिक सुरक्षा और पारदर्शिता मिलेगी, जिससे भारतीय वित्तीय बाजार में विश्वास बढ़ेगा.