Ramzan 2021: इस तारीख से शुरु होगा रमजान का पाक माह! जानें किन लोगों पर है ये फर्ज

रमजान का पूरा माह पाक माह माना जाता है, इसलिए इस पूरे माह किसी की बुराई, झूठ, फरेब, ईर्ष्या, लालच, अपशब्दों के प्रयोग इत्यादि से खुद को दूर रहना चाहिए.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Getty Images)
Ramzan 2021: इस्लामिक धर्म के अनुसार रमजान माह चांद के दीदार के बाद शुरु होती है. चांद का दीदार कब होगा, इस विषय में अभी कह पाना संभव नहीं है, लेकिन कुछ मुस्लिम विद्वानों एवं मौलाना का अनुमान है कि भारत में 14 अप्रैल से रमजान का पाक महीना शुरु हो सकता है. अगर यह अनुमान सही होता है तो 14 मई  के दिन ईद मनाई जा सकती है. गौरतलब है कि इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नौवां महीना रमजान का होता है, साथ ही बता दें कि रमजान माह में ही कुरान शरीफ नाजिल हुआ था.
क्या होता है छोटा रोजा और बड़ा रोजा
चांद का दीदार होने के बाद अगर 13 अप्रैल से रोजा शुरु होता है, तो इसे छोटा रोजा कहते हैं. जानकारों के मुताबिक इसकी अवधि 14 घंटे 8 मिनट की होती है. इसके बाद जो आखिरी रोजा होता है उसे बड़ा रोजा कहते हैं, इसकी अवधि 14 घंटे 52 मिनट होती है. इस रोजे के साथ ही रमजान का पाक महीना पूरा हो जाता है, और अगले दिन मुस्लिम समुदाय बड़े हर्षोल्लास एवं उमंग के साथ ईद मनाता है.
रोजा की अनिवार्यता!
  इस्लाम धर्म के अनुसार यूं तो रमजान माह में हर मुस्लिम को रोजा रखना चाहिए, लेकिन विशेष परिस्थितियों में रोजा की अनिवार्यता नहीं रहती. यानी कोई बीमार है, जो रोजा रखने की स्थिति में नहीं है. ऐसी स्थिति में वह चाहे तो रोजा नहीं रख सकता है. इसके अलावा गर्भवती माँएं या नवजात शिशु को स्तनपान कराने वाली माओं को भी रोजा की अनिवार्यता से छूट दी जाती है. कुछ बुजुर्ग जो चिकित्सकों के अनुसार नियमित दवा लेते हैं, उन्हें भी रोजा नहीं रखने का अधिकार होता है.
रमजान के पाक माह में इन बातों का खास ध्यान रखें!
* रमजान का पूरा माह पाक माह माना जाता है, इसलिए इस पूरे माह किसी की बुराई, झूठ, फरेब, ईर्ष्या, लालच, अपशब्दों के प्रयोग इत्यादि से खुद को दूर रहना चाहिए.
* रोजा रखने वालों को नियमित जकात देना चाहिए. दरअसल इस्लामिक नियमों के अनुसार प्रत्येक मुसलमानों को अपनी कमाई का ढाई प्रतिशत हिस्सा गरीबों में बांट देना चाहिए, इससे उसकी कमाई में बरकत होती है.
* रोजा रखने वालों को सेहरी और इफ्तार के समय का ध्यान अवश्य रखना चाहिए.
* सेहरी करने के बाद नमाज के पश्चात कुरान शरीफ भी आवश्यक रूप से पढ़ना चाहिए. इससे मन पाक होता है और सुनने पर शबाब मिलता है
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