DL New Rule: ड्राइविंग लाइसेंस के लिए अब नहीं काटने पड़ेंगे RTO के चक्कर, सरकार ने बनाया यह नया नियम
ड्राइविंग लाइसेंस I प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Twitter)

Driving License New Rules: देश में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए हर रोज आरटीओ (Regional Transport Office) पर सैकड़ों की संख्या में आवेदन आते हैं. हर एक व्यक्ति का ड्राइविंग टेस्ट लेने में काफी समय लगता है, जिसकी वजह से कई बार आपकी बारी आने में महीनों का समय लग जाता है. ऐसे में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने नये दिशानिर्देश जारी किए हैं. इनके अनुसार, अब क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के अलावा वाहन निर्माता संघ, गैर लाभकारी संगठन और निजी कंपनियां भी ड्राइविंग लाइसेंस जारी कर पाएंगी. PUC New Rule: अब पूरे देश में सभी वाहनों के लिए बनेगा एक जैसा पीयूसी सर्टिफिकेट, जानिए नया नियम

कौन जारी कर सकेगा लाइसेंस?

नई गाइडलाइंस के अनुसार, ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की नई सुविधा के साथ क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों यानि आरटीओ द्वारा भी ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जाएंगे. संस्थाएं जैसे फर्म्स, एनजीओ, प्राइवेट कंपनियां, ऑटोमोबाइल एसोसिएशन, व्हीकल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन, ऑटोनॉमस बॉडी, प्राइवेट व्हीकल मैन्युफैक्चरर, ये सभी अपने यहां ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर खोलने के लिए अप्लाई कर सकेंगे.

दिखानी होगी फाइनेंशियल कैपेबिलिटी

जो संस्थाएं अपने यहां ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर खोलना चाहती हैं, इनके पास केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के तहत निर्धारित जमीन पर जरूरी सुविधाएं होनी जरूरी है. यही नहीं अगर कोई राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में इसके लिए अप्लाई करता है, तो उसे रिसोर्स को मैनेज करने को लेकर अपनी फाइनेंशियल कैपेबिलिटी दिखानी होगी.

एप्लीकेशन में होनी चाहिए ये सभी जानकारी

आवेदक की एप्लीकेशन में फाइनेंशियल कैपेसिटी, लीगल स्टेटस, ट्रेनिंग और टेस्टिंग के लिए कितना स्पेस है, या इंफ्रास्ट्रक्चर कैसा है, ट्रेनिंग देने वाले ट्रेनीज, ड्राइविंग ट्रेनिंग और रोड सेफ्टी को लेकर कितना अनुभव है, कनेक्टिविटी, आम लोगों की कितनी पहुंच है और शहर से वो ट्रेनिंग सेंटर कितना दूर है, ये सभी जानकारी होनी चाहिए. सरकार के मुताबिक ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर खोलने के प्रोसेस को अप्लाई करने के 60 दिनों के अंदर पूरा करना होगा. इन ट्रेनिंग सेंटर्स को अपनी एनुअल रिपोर्ट भी जमा करानी होगी. जिसे आरटीओ या डीटीओ में जमा कराया जा सकेगा.

नए नियमों के मुताबिक, ये ट्रेनिंग सेंटर चलाने वाली संस्थाएं कॉर्पोरेट क्षेत्र से या केंद्र या राज्य सरकार की किसी अन्य योजना के तहत या कॉर्पोरेट की सामाजिक जिम्मेदारी के तहत मदद मांग सकती हैं.

बनाना होगा ऑनलाइन पोर्टल

मान्यता प्राप्त केंद्रों को ऑनलाइन पोर्टल भी बनाना होगा जिसमें प्रशिक्षण कैलेंडर, ट्रेनिंग कोर्स स्ट्रक्चर, प्रशिक्षण घंटे और कार्य दिवसों की जानकारी देनी होगी. इस ऑनलाइन पोर्टल में प्रशिक्षण / प्रशिक्षित लोगों की लिस्ट, प्रशिक्षकों की डिटेल्स, ट्रेनिंग के नतीजे, उपलब्ध सुविधाएं, छुट्टियों की सूची, ट्रेनिंग फीस, जैसी कई जानकारी भी होनी चाहिए.

78 प्रतिशत सड़क हादसों में ड्राइवरों की गलती

बता दें, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की साल 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं में से 78 प्रतिशत ड्राइवरों की गलती के कारण होती हैं. मोटर व्हीकल रूल, 1989 में पर्याप्त प्रावधान होने के बावजूद भी केंद्र सरकार लगातार इन दुर्घटनाओं को कम करने के लिए आए दिन नए नियम बना रही हैं. जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अच्छे ड्राइविंग कौशल और ज्ञान को सुनिश्चित करने में मदद कर रहे हैं. ये नए नियम भी नए ड्राइवरों को बेहतर ट्रेनिंग देने और सड़क दुर्घटनाओं को कम करने में मदद करेंगे.