130 साल पुराने भव्य छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस से जुड़ी 10 रोचक बातें
किसी पैलेस जैसा दिखनेवाला भारतीय रेल का भव्य स्टेशन छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के 130 वर्ष पूरे हो चुके है लेकिन मुंबई शहर में स्थित इस स्टेशन की चमक जरा सी भी फीकी नहीं पड़ी है. वास्तु-कला का उत्कृष्ट नमूना यह टर्मिनस अंग्रेजों के जमाने से मशहूर है.
किसी पैलेस जैसा दिखनेवाला भारतीय रेल का भव्य स्टेशन छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के 130 वर्ष पूरे हो चुके है लेकिन मुंबई शहर में स्थित इस स्टेशन की चमक जरा सी भी फीकी नहीं पड़ी है. वास्तु-कला का उत्कृष्ट नमूना यह टर्मिनस अंग्रेजों के जमाने से मशहूर है. इस स्टेशन का पुराना नाम विक्टोरिया टर्मिनस था और तब से ही मध्य रेल का मुख्यालय भवन भी है. हर रोज लाखों यात्रियों का शान से मुंबई में स्वागत करने वाले इस स्टेशन के बारें में क्या कभी आपने सोचा था की इसका निर्माण क्यों और कैसे हुआ होगा.
छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस से जुड़ी 10 रोचक बातें-
- छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस ने 20 मई को अपने निर्माण के 130 वर्ष पूरे किए
- इस भवन का डिजाइन वास्तुकार फ्रेडरिक स्टीवेंस ने तैयार किया था
- इसके निर्माण में एक दशक का समय लगा तथा 16.14 लाख रूपये की लागत आई
- स्टीवेंस के द्वारा डिजाइन किए गए इस ऐतिहासिक टर्मिनस को उस समय एशिया के सबसे बड़े भवन का दर्जा हासिल था
- इसका निर्माण 1878 में शुरू हुआ और 1887 में महारानी विक्टोरिया के नाम पर इसका नाम विक्योरिया टर्मिनस रखा गया
- 1996 में इसका नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रखा गया. जुलाई 2017 में इसका नाम छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रखा गया
- 2004 में यूनेस्को ने इस भवन को वास्तु कला की उत्कृष्टता के लिए विश्व विरासत की सूची में स्थान दिया
- यह एक सी-आकार की इमारत है. गॉथिक शैली में डिजाइन किए गए इस भवन को भारतीय संदर्भ के अनुरूप निर्मित किया गया है. पूरी इमारत का सर्वोत्कृष्ट बिंदु मुख्य गुंबद है. इस पर एक विशाल महिला की आकृति (16 फुट 6 इंच) है
- 1929 में इस स्टेशन में 10.4 लाख रुपये की लागत से 6 प्लेटफॉर्म बनाए गए. अभी इस स्टेशन में 18 प्लेटफॉर्म हैं.
- ताज महल के पश्चात् यह इस भवन के सबसे अधिक फोटो खीचे जाते हैं.