Chhath Puja 2025: छठ पर ‘छठ मइया’ और ‘सूर्य देव’ की उपासना क्यों की जाती है? दोनों के बीच ‘छठ पर्व’ का क्या है कनेक्शन!

छठ महापूजा की शुरुआत हो गयी है. 27 अक्टूबर 2025 को सूर्यास्त का अर्घ्य देने के बाद अगले दिन यानी 28 अक्टूबर की सुबह सूर्योदय को अर्घ्य देने और छठ मइया की पूजा जैसे अनुष्ठान के साथ छठ महापर्व समाप्त होगा. सूर्य देव और छठी मैया की आराधना को समर्पित यह पर्व प्रकृति, पवित्रता और जीवन ऊर्जा के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक माना जाता है.

   छठ महापूजा की शुरुआत हो गयी है. 27 अक्टूबर 2025 को सूर्यास्त का अर्घ्य देने के बाद अगले दिन यानी 28 अक्टूबर की सुबह सूर्योदय को अर्घ्य देने और छठ मइया की पूजा जैसे अनुष्ठान के साथ छठ महापर्व समाप्त होगा. सूर्य देव और छठी मैया की आराधना को समर्पित यह पर्व प्रकृतिपवित्रता और जीवन ऊर्जा के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक माना जाता है. छठ पूजा का मूल आधार सूर्य देव और छठ मइया (उषा या प्रकृति शक्ति) की संयुक्त उपासना है. इन दोनों के बीच का संबंध गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक है. आइए इसे सरल रूप में समझते हैं. यह भी पढ़ें : Dev Uthani Ekadashi 2025: देव उठनी एकादशी को साल की सबसे बड़ी एकादशी क्यों कहा जाता है? जानें इस दिन क्या करें क्या ना करें!

छठ पर्व पर सूर्यास्त एवं सूर्योदय

सूर्यास्त समय: छठ पूजा पर सूर्यास्त 05.39 PM

सूर्योदय समय: छठ पूजा पर सूर्योदय 06.29 AM

सूर्य एवं छठ मइया की ही पूजा क्यों

छठ पूजा सूर्य देव (भगवान भास्कर) और उनकी बहन छठी मइया (ऊषा देवी) की उपासना के लिए की जाती है. सूर्यदेव जहां जीवनऊर्जा और स्वास्थ्य के प्रतीक हैंवहीं छठी मइया संतानसमृद्धि और कल्याण की देवी मानी जाती हैं.

सूर्य देव यानी जीवन दाता

सूर्य को ऊर्जाप्रकाशजीवन और स्वास्थ्य का स्रोत माना गया है.

बिना सूर्य के पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी असंभव है.

छठ व्रत में सूर्य की पूजा इसीलिए की जाती है ताकि मनुष्य प्रकृति के इस सबसे महत्वपूर्ण स्रोत के महत्व को समझते हुए उसके प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर सके.

छठ मइया, सूर्य की शक्ति (उषा या प्रकृति)

हिंदू धर्म शास्त्रों में छठ मइया को सूर्य देव की बहन या उषा (प्रभात की देवी) कहा गया है.

वे सूर्य की शक्ति और मातृत्व रूपी ऊर्जा की प्रतीक हैंजो जीवन को पोषण देती हैं.

छठ मइया ही वह दैवी शक्ति हैं जो सूर्य की ऊर्जा को सजीव जगत तक पहुँचाती हैं.

सूर्य एवं छठ के बीच संबंध

  जैसे सूर्य ऊर्जा का स्रोत हैंवैसे ही छठ मइया उस ऊर्जा का संवहन और संतुलन करती हैं. पूजा के दौरान पहले अस्ताचलगामी सूर्य (डूबते सूर्य) और फिर उदित होते सूर्य (उगते सूर्य) को अर्घ्य दिया जाता है. इसका अर्थ है — जीवन में अंत और आरंभ दोनों का सम्मानऔर उस ऊर्जा का सम्मान जो निरंतर चलती रहती है.

छठ मइया के माध्यम से सूर्यदेव की कृपा के जरिये स्वास्थ्यसंतान-सुखऔर समृद्धि की प्रार्थना की जाती है.

छठ पर्व का दार्शनिक अर्थ

सूर्यः पुरुष तत्व (ऊर्जाकर्म)

छठ मइयाः  स्त्री तत्व (सृजनपालन)

दोनों मिलकर सृष्टि का संतुलन बनाए रखते हैं. छठ पूजा का मूल आध्यात्मिक संदेश यही है.

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