अब बिना आधार कार्ड के पवित्र गंगा घाट पर भी नहीं मिलेगी 'मुक्ति'

अगर आप मरने के बाद पवित्र काशी में पंचतत्व में विलीन होने की चाहत रखते है तो आधार कार्ड जरुर बनवा लें. आज आधार कार्ड जिंदगी के हर क्षेत्र में जरूरी हो गया है, चाहे वो नया बैंक अकाउंट खुलवाना हो या रसोई गैस कनेक्शन, या फिर कोई सरकारी कागजात बनवाना हो.

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लखनऊ: अगर आप मरने के बाद पवित्र काशी में पंचतत्व में विलीन होने की चाहत रखते है तो आधार कार्ड जरुर बनवा लें. आज आधार कार्ड जिंदगी के हर क्षेत्र में जरूरी हो गया है, चाहे वो नया बैंक अकाउंट खुलवाना हो या रसोई गैस कनेक्शन, या फिर कोई सरकारी कागजात बनवाना हो. ठीक वैसे ही अब से काशी में अंतिम संस्कार के लिए आधार कार्ड की जरूरत होगी.

जानकारी के मुताबिक अब काशी के मणिकर्णिका व हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया गया है. यदि आप किसी अपने को लेकर अंतिम संस्कार के लिए आ रहे हैं तो उनका आधार कार्ड को साथ में लेना ना भूलें. गौरतलब है कि हरियाणा में भी आधार कार्ड अनिवार्य किया गया था.

ज्ञात हो कि मार्च 2015 से राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल (एनडीआरएफ) के सहयोग से काशी में शवों के अंतिम संस्कार के लिए नई व्यवस्था शुरू की गई है. इस कार्य में गुजरात की सामाजिक संस्था सुधांशु मेहता फाउंडेशन भी सम्मिलित है. फाउंडेशन की ओर से वर्तमान में गंगा में चार शव वाहिनी स्टीमर की सुविधा दी गई है. नई व्यवस्था के तहत अब शव लेकर लोग सबसे पहले भैंसासुर घाट जाते हैं और वहां से जो मृत देह को दाह संस्कार के लिए स्टीमर के जरिए मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर पहुचाया जाता है.

पुलिस कार्यवाही से बचने के लिए कई बार अपराधी हत्या, दहेज हत्या, रहस्यमय परिस्थितियों में मौत के मामले को छुपाने के लिए यहां शव लेकर पहुंचते है और अंतिम संस्कार करके मामलें को दबा देते हैं. ऐसे ही एक मामला हाल ही में हुआ जब शव वाहिनी का संचालन करने वालों ने मृतक से संबंधित जानकारियां उसके परिजनों से मांगनी शुरू की वें भड़क गए. ऐसे मामलों से निपटने के लिए एनडीआरएफ ने आधार कार्ड को अनिवार्य बना दिया.

ऐसी मान्यता है कि मणिकर्णिका व हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार करने पर मृत इंसान को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसलिए उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार से भी बड़े पैमाने पर लोग शव लेकर अंतिम संस्कार के लिए वाराणसी आते हैं.

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