बड़े कैश ट्रांजैक्शन के लिए सरकार बदलेगी नियम, जल्द ही आधार वेरिफिकेशन कराना होगा जरूरी

सरकार इकॉनमी में करंसी के ज्यादा प्रवाह पर नकेल कसने के लिए एक निश्चित मूल्य से ज्यादा राशि के लेनदेन पर आधार को प्रमाणित कराने को जरूरी बनाने की योजना बना रही है. अब नकद लेनदेन के लिए सिर्फ पैन (PAN) की जानकारी काफी नहीं होगी.

आधार कार्ड (Photo Credits: PTI)

अगर आप बड़े पैमाने पर नकद लेन-देन करते हैं तो लिए यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है. अब नकद लेनदेन के लिए सिर्फ पैन (PAN) की जानकारी काफी नहीं होगी. सरकार इकॉनमी में करंसी के ज्यादा प्रवाह पर नकेल कसने के लिए एक निश्चित मूल्य से ज्यादा राशि के लेनदेन पर आधार को प्रमाणित कराने को जरूरी बनाने की योजना बना रही है. मोदी सरकार ने इकोनॉमी में कैश लेनदेन को कम करने और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए नया प्लान बनाया है. इसके तहत ज्यादा कैश जमा करने या निकासी पर PAN के साथ आधार (Aadhaar) वेरिफिकेशन कराना अनिवार्य होगा. आधार वेरिफिकेशन के लिए सरकार बायोमेट्रिक टूल या फिर वन टाइम पासवर्ड (OTP) का विकल्प दे सकती है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने फाइनेंस बिल में कुछ संशोधन किया है. इसके मुताबिक तय सीमा से ज्यादा फॉरेन एक्सचेंज जैसे कई हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन के लिए अभी तक PAN की जरूरत थी. अगर आप बहुत ज्यादा कैश जमा करते हैं तो अब सिर्फ पैन या आधार की कॉपी से बात नहीं बनेगी. अभी आधार वेरिफिकेशन अनिवार्य बनाने के लिए जमा-निकासी की सीमा तय करने पर विचार हो रहा है, यह सीमा 20 से 25 लाख रुपये के बीच हो सकती है.

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फाइनैंशल बिल में प्रस्तावित विधेयकों के अनुसार इसका दायरा कई दूसरे बड़े लेवल के ट्रांजैक्शन्स जैसे तय सीमा से अधिक विदेशी करंसी की खरीद तक भी बढ़ाया जाएगा. ठीक इसी तरह किसी निश्चित मूल्य के प्रॉपर्टी लेनदेन के मामले में भी केवल आपके आधार या पैन की जानकारी देना अनिवार्य नहीं होगा बल्कि प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन के समय आधार के प्रमाणीकरण की भी जरूरत होगी. सरकार के इस कदम का मकसद छोटे ट्रांजेक्शन करने वालों को कोई दिक्कत पैदा किए बड़े ट्रांजेक्शन वालों का पता लगाना है.

रिपोर्ट के अनुसार, नकद जमा-निकासी के अलावा एक निश्चित मूल्य से ज्यादा की प्रॉपर्टी के लेनदेन में भी आधार वेरिफिकेशन को अनिवार्य किया जा सकता है. सूत्रों का कहना है कि अभी कई जमाकर्ता फर्जी पैन नंबर का इस्तेमाल करते हैं. इससे उनके लेनदेन को ट्रैक नहीं किया जा सकता है. इस समस्या से निपटने के लिए आधार वेरिफिकेशन को अनिवार्य किया जा सकता है. सूत्रों का कहना है कि इस प्रक्रिया से फ्रॉड को रोकने में मदद मिलेगी.

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