7Th Pay Commission: देश के लाखों केंद्रीय कर्मचारियों को कुछ दिन पहले ही महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी की सौगात मिली. जबकि कर्मचारियों के मूल वेतन में इजाफे को लेकर सरकार ने कोई ऐलान नहीं किया. हालांकि दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (National Judicial Pay Commission) ने अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंप दी है. आयोग ने चार संस्करणों वाली रिपोर्ट का मुख्य भाग 29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में दाखिल किया. इसमें वेतन, पेंशन और भत्तों को लेकर कई सिफारिशें की गई.
सुप्रीम कोर्ट साझेदारों को सुनने के बाद सिफारिशों के लागू करने के संबंध में निर्देश जारी करेगा. आयोग का गठन अखिल भारतीय न्यायाधीश एसोसिएशन के मामले उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार किया गया था. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस पीवी रेड्डी इसके अध्यक्ष हैं. आयोग ने 2018 में अंतरिम रिपोर्ट दी थी. इसकी मुख्य सिफारिशें इस प्रकार हैं-
वेतन : आयोग ने विभ्रिन्न वैकल्पिक कार्य पद्धतियों पर विचार करके पे मैट्रिक्स अपनाने की सिफारिश की जिसे वर्तमान वेतन के 2.81 के गुणक को लागू करके निकाला गया है, जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन में वृद्धि के प्रतिशत के अनुरूप है. @ 3% संचयी लागू किया गया है.
आयोग द्वारा निर्धारित संशोधित वेतन ढांचे के अनुसार, जूनियर सिविल न्यायाधीश/प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट जिनका शुरूआती वेतन 27,700 रुपये है उन्हें हम 77,840 रुपये मिलेंगे. वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश के अगले उच्च पद का वेतन 1,11,000 रुपये से और जिला न्यायाधीश का वेतन 1,44,840 रुपये से शुरू होगा. जिला न्यायाधीश (एसटीएस) का अधिकतम वेतन 2,24,100 रुपये होगा.
चयन ग्रेड और सुपर टाइम स्केल जिला न्यायाधीशों का प्रतिशत क्रमश: 10 प्रतिशत और 5 प्रतिशत बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है. संशोधित वेतन और पेंशन 1 जनवरी 2016 से प्रभावी होगी. अंतरिम राहत का समायोजन करने के बाद कैलेंडर वर्ष 2020 के दौरान बकाया राशि का भुगतान किया जाएगा.
पेंशन : प्रस्तावित संशोधित वेतनमानों के आधार पर पिछले वेतन के 50 प्रतिशत पर पेंशन की 1.1.2016 को सिफारिश की गई. परिवार की पेंशन अंतिम वेतन का 30 प्रतिशत होगी. अतिरिक्त पेंशन 75 वर्ष की आयु पूरा करने (80 वर्ष के बजाय) पर शुरू होगी और विभिन्न चरणों पर प्रतिशत बढ़ेगा. वर्तमान में सेवानिवृत्ति गेच्यूइटी और मृत्यु गेच्यूइटी की वर्तमान सीमा 25 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी जब डीए 50 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा.
पेंशनधारियों/परिवार के पेंशनधारियों की सहायता के लिए जिला न्यायाधीश द्वारा केंद्रीय अधिकारियों को मनोनीत किया जाएगा.
नई पेंशन योजना (एनपीएस) को जारी नहीं रखने की सिफारिश की गई है जो उन लोगों पर लागू होती है जिन्होंने 2004 के दौरान या उसके बाद सेवा में प्रवेश किया है. वृद्धावस्था पेंशन प्रणाली , जो अधिक लाभदायक है उससे फिर से शुरू किया जाएगा.
भत्ते : वर्तमान भत्तों को उपयुक्त तरीके से बढ़ाया जाएगा और कुछ नई बातों को शामिल किया गया है. फिर भी सीसीए के जारी नहीं रहने का प्रस्ताव है. चिकित्सा सुविधाओं में सुधार और अदायगी की प्रक्रिया सरल बनाने की सिफारिशें की गईं हैं. पेंशनधारियों और पारिवारिक पेंशन लेने वालों को चिकित्सा सुविधाएं दी जाएंगी.
कुछ नये भत्ते जैसे बच्चों की शिक्षा से जुड़े भत्ते, होम ऑर्डरली भत्ते का प्रस्ताव रखा गया है. सभी राज्यों में एचआरए समान रूप से बढ़ाने का प्रस्ताव है. सरकारी मकानों का उचित रखाव सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की सिफारिश की गई है. आयोग द्वारा की गई सिफारिशें देशभर के न्यायिक अधिकारियों पर लागू होंगी. ज्ञात हो कि देश के कुछ उच्च न्यायालयों ने न्यायिक अधिकारियों के लिए सातवें सीपीसी वेतनमान को लागू किया हुआ है.