नई दिल्ली: बढती मंहगाई के बीच मोदी सरकार द्वारा सातवें वेतन आयोग (7th pay commission) की सिफारिशों को लागू करने से लाखों सरकारी कर्मचारियों को बहुत राहत मिली. हालांकि केंद्रीय कर्मचारियों को इसका फायदा 1 जनवरी 2016 से ही मिल रहा है. जबकि अधिकतर राज्यों ने भी अपने कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग को लागू किया हुआ है. देश में सातवां वेतन आयोग 2026 तक लागू रहेगा.
नियमानुसार केंद्र सरकार हर दस साल में नया वेतन आयोग गठित करती है. आयोग अपने गठन की तिथि से 18 महीने के अंदर अपनी सिफारिशें प्रदान करेगा. जिस पर केंद्र सरकार अंतिम फैसला लेता है. इस हिसाब से भारत में अब तक सात वेतन आयोग बनाए जा चुके है. भारत में पहले वेतन आयोग का गठन जनवरी 1946 में श्रीनिवास वरादाचरियर की अध्यक्षता में किया गया था. 7th Pay Commission: दिवाली बाद सरकारी कर्मचारियों को मिल सकता है ये बड़ा तोहफा, मोदी सरकार कर रही है विचार
केंद्रीय वेतन आयोग केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतनमान, सेवा निवृत्ति के लाभ और अन्य सेवा शर्तों संबंधी मुद्दों पर विचार करने के बाद सिफारिशें करती है. इसका फायदा औद्योगिक और अनौद्योगिक केन्द्रीय सरकार के कर्मचारी, अखिल भारतीय सेवाओं के कर्मी, केंद्रशासित प्रदेशों के कर्मी, भारतीय लेखा एवं परीक्षण विभाग के अधिकारी एवं कर्मी, रिजर्व बैंक को छोड़कर संसद अधिनियम के तहत गठित नियामक संस्थाओं के सदस्यों तथा उच्चतम न्यायालय के अधिकारियों एवं कर्मियों को होता है.
वेतन आयोग भत्तों, सुविधाओं एवं लाभों, नकदी या गैर-नकदी राशि के संबंध में सिद्धांतों की जांच एवं समीक्षा करती है. वेतन आयोग सरकारी सेवा के प्रति योग्य लोगों को आकृषित करने के लिए वेतन ढांचा भी तैयार करती है. इसके अंर्तगत कुशलता, उत्तरदायित्व और कार्य के प्रति जिम्मेदारी बढ़ाने के उपायों पर भी विचार किया जाता है. जिससे लोकप्रशासन प्रणाली दुरूस्त हो सके. इसके तहत आधुनिक प्रशासन तथा तेजी से बदलते राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक और प्रौद्योगिकी बदलावों की जटिल चुनौतियों का भी ध्यान रखा जाता है.
वहीं कर्मचारियों की क्षमता और उत्पादकता बढ़ाने के लिए मौजूदा बोनस योजना पर भी फोकस किया जाता है. इसके अलावा पेंशन और अवकाश प्राप्त करने पर मिलने वाले लाभों के ढांचे पर भी विचार किया जाता है. इन सब से सरकारी कर्मचारियों के वेतन और अन्य भत्ते तर्कसंगत तरीके से बढ़ाने की सिफारिश की जाती है.