30 सितंबर को काला दिन मानते हैं लातूर के इस गांव के लोग, विनाशकारी भूकंप ने किया था सब बर्बाद
महाराष्ट्र के लातूर जिले में किल्लारी गांव के निवासी हर साल 30 सितंबर को काला दिन के रूप में देखते हैं. 25 साल पहले इसी दिन लातूर-उस्मानाबाद क्षेत्र में विनाशकारी भूकंप आया था, जिसमें करीब 10 हजार लोग मारे गये थे
लातूर: महाराष्ट्र के लातूर जिले में किल्लारी गांव के निवासी हर साल 30 सितंबर को काला दिन के रूप में देखते हैं. 25 साल पहले इसी दिन लातूर-उस्मानाबाद क्षेत्र में विनाशकारी भूकंप आया था, जिसमें करीब 10 हजार लोग मारे गये थे और कई अन्य घायल हो गये थे. इस भयावह आपदा हुई क्षति से प्रभावित हुए लोग आज भी सरकार से मुआवजे की आस लगाए बैठे हैं. इस आपदा से सूर्यवंशी तानाजी नाम के शख्स को दोहरी क्षति पहुंची है. इस शख्स उस विनाशकारी भूकंप में अपने परिजनों को खो दिया और उसकी करीब 6.5 एकड़ की जमीन सरकार ने उससे पुनर्वास के नाम पर ले लिया.
अब वह अपनी पत्नी और 13 साल के बेटे के साथ टिन की छत वाली छोटी सी झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं. उनका आरोप है कि उन्हें कभी सरकार की तरफ से कोई मुआवजा मिला ही नहीं. सूर्यवंशी तानाजी का कहना है कि 30 सितंबर का दिन किल्लारी गांव के लोगों के लिए 'काला दिन' है.
25 साल पहले आई उस आपदा को याद करके सूर्यवंशी आज भी कांप उठते हैं. उन्होंने बताया कि वह गणेश विसर्जन ते जुलूस मे गए थे, तभी भूकंप के तेज झटकों मे एक पल में सबकुछ तबाह कर दिया. भूकंप के झटके आते ही वो घर की तरफ भागे, लेकिन तब तक उनका घर मलबे में तब्दील हो चुका था. उन्होंने पत्नी, मां और भाई को मलबे से बाहर निकाला, लेकिन उनके पिता, 10 साल का बेटा और उसके भाई के तीन बच्चे और भाभी की मौत हो चुकी थी. हालांकि बाद में उनके भाई और मां ने भी दम तोड़ दिया. उन्होंने बताया कि वो अदालत भी गए, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला. यह भी पढ़ें: इंडोनेशिया: भूकंप के बाद आई सुनामी से मची तबाही, 384 लोगों की हुई मौत
किल्लारी गांव के एक दूसरे निवासी प्रशांत हरांगुले का घर भी उस आपदा में क्षतिग्रस्त हो गया था और उनके परिवार के सदस्य घायल हो गए थे. वहीं तुलजापुर से कांग्रेस से पांच बार विधायक रह चुके मधुकर चौहान का कहना है यहां पर भूंकप प्रभावित लोगों की काफी मदद की गई लेकिन उनके घावों को कभी भरा नहीं जा सकता.