IndiGo Crisis: अगस्त में ही मिल गई थी चेतावनी, अनदेखी से शर्मनाक हुए हालात, इस गलती से पैदा हुआ इंडिगो संकट
देशभर में इंडिगो की लगातार उड़ान रद्द होने से जब हजारों यात्री फंसे हुए हैं, तब एक अहम खुलासा हुआ है. दरअसल, इस संकट से कई महीने पहले ही संसद की एक स्थायी समिति ने भारतीय विमानन व्यवस्था (DGCA) को लेकर गंभीर चेतावनी दी थी.
नई दिल्ली: देशभर में इंडिगो की लगातार उड़ान रद्द होने से जब हजारों यात्री फंसे हुए हैं, तब एक अहम खुलासा हुआ है. दरअसल, इस संकट से कई महीने पहले ही संसद की एक स्थायी समिति ने भारतीय विमानन व्यवस्था (DGCA) को लेकर गंभीर चेतावनी दी थी. अगस्त में परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने आगाह किया था कि अगर पायलटों के ड्यूटी नियमों को नजरअंदाज किया गया और स्टाफ बढ़ाए बिना विमान बेड़े का विस्तार जारी रहा, तो पूरा एविएशन सिस्टम खतरे के मोड़ पर पहुंच सकता है.
संसद में पेश रिपोर्ट में साफ कहा गया था कि भारत में विमानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन उसी अनुपात में पायलटों और एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स (ATC) की संख्या नहीं बढ़ पा रही. समिति ने इसे एक “क्रिटिकल इन्फ्लेक्शन पॉइंट” बताया, जहां पायलटों की थकान, ATC पर बढ़ता दबाव और नियामक एजेंसियों में क्षमता की कमी मिलकर बड़े खतरे को जन्म दे सकती है.
पायलट थकान से बढ़ता है हादसों का जोखिम
रिपोर्ट में कहा गया कि पायलटों पर बढ़ता काम का बोझ रनवे पर टकराव, ग्राउंड कोलिजन और हवा में टकराव जैसी घटनाओं का खतरा बढ़ा देता है. समिति ने जोर देकर कहा था कि DGCA को फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों का सख्ती से पालन कराना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एयरलाइंस किसी भी तरह से इन नियमों को दरकिनार न कर पाएं. समिति के मुताबिक, थकान से जुड़े जोखिम अब साफ तौर पर सामने आने लगे हैं और इसकी कड़ी निगरानी जरूरी है.
अब इंडिगो के मामले की होगी समीक्षा
JDU नेता संजय झा की अध्यक्षता वाली यह संसदीय समिति अब इंडिगो में चल रहे व्यवधानों की समीक्षा करने की तैयारी में है. बताया जा रहा है कि समिति एयरलाइन के साथ चर्चा करेगी. बीते कई दिनों से इंडिगो सैकड़ों उड़ानें रद्द कर रही है, क्योंकि वह पायलटों के लिए लागू किए गए नए थकान प्रबंधन नियमों के अनुसार अपने रोस्टर को व्यवस्थित नहीं कर पाई है. DGCA ने पिछले साल FDTL के नए नियम चरणबद्ध तरीके से लागू किए थे, लेकिन बड़े स्तर पर रोस्टर बदलने में नाकामी से इंडिगो को भारी मैनपावर संकट का सामना करना पड़ रहा है.
थकान प्रबंधन व्यवस्था मजबूत करने की सलाह
अगस्त में ही समिति ने DGCA से यह भी सवाल किया था कि क्या नए FDTL नियम और मेंटल हेल्थ प्रोटोकॉल वास्तव में पायलटों के तनाव और थकान को कम कर पा रहे हैं या नहीं. समिति ने ATC के लिए एक राष्ट्रीय स्तर के फटीग रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम की सिफारिश की थी और ओवरवर्क व लंबे ड्यूटी आवर्स से निपटने के लिए पूर्ण स्टाफिंग ऑडिट की जरूरत बताई थी.
ट्रेनिंग और रेगुलेशन में खामियां
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि आने वाले वर्षों में तेजी से बढ़ते विमान बेड़े के लिए हजारों नए पायलटों की जरूरत होगी. हालांकि 2024-25 में पांच नए फ्लाइंग ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन (FTO) को मंजूरी मिली है और कुल संख्या 39 हो गई है, लेकिन समिति ने इसे पर्याप्त नहीं माना. छह और FTO प्रस्तावित हैं और ट्रेनिंग विमानों की संख्या भी बढ़कर 350 हो गई है. इसके बावजूद, समिति ने गंभीर नियामक खामियों की ओर इशारा किया, खासतौर पर पर्वतीय इलाकों में उड़ान संचालन को लेकर. हिमालय जैसे जोखिम भरे क्षेत्रों में उड़ान भरने वाले पायलटों के लिए अब तक अनिवार्य माउंटेन फ्लाइंग सर्टिफिकेशन नहीं होना भी चिंता का विषय बताया गया.
DGCA खुद स्टाफ संकट से जूझ रहा है
रिपोर्ट का सबसे चिंताजनक पहलू DGCA की अपनी स्टाफिंग स्थिति है. स्वीकृत 1,063 पदों में से केवल 553 भरे हुए हैं, यानी लगभग आधे पद खाली हैं. ऐसे समय में जब देश में घरेलू हवाई यातायात रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच रहा है, यह स्थिति विमानन सुरक्षा के लिए “संरचनात्मक कमजोरी” बन सकती है. समिति ने चेताया कि पर्याप्त निगरानी और नियामक क्षमता के बिना एविएशन सेक्टर को गंभीर परिचालन और सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.
यह साफ हो गया है कि भारतीय विमानन क्षेत्र को अब मैनपावर प्लानिंग, नियमों के सख्त पालन और मजबूत नियामक निगरानी पर तुरंत ध्यान देना होगा, ताकि इस तरह के बड़े व्यवधान और सुरक्षा जोखिमों से बचा जा सके.