Blue Economy पर भारत का जोर, समुद्र की गहराई खोलेगा संभावनाओं के द्वार, 6 हजार मीटर नीचे होगा रिसर्च
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India Blue Economic Policy: भारत समुद्रयान मिशन के अंतर्गत खनिज जैसे संसाधनों का पता लगाने के लिए एक अभियान शुरू कर रहा है. इसमें तीन लोग समुद्र में 6 हजार मीटर की गहराई में जाकर रिसर्च करेंगे. पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा कि मत्स्य नामक पनडुब्बी 6,000 मीटर की गहराई तक तीन लोगों को समुद्र में ले जाएगी. इस मिशन के अगले तीन वर्षों में साकार होने की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि मत्स्य नामक इस समुद्रयान को राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान, चेन्नई ने विकसित किया है. Online Gaming: शिलांग में बनेगा भारत का पहला ऑनलाइन गेमिंग सेंटर ऑफ एक्सीलेंस

6 हजार मीटर की गहराई में होगा रिसर्च

डीप ओशन मिशन अनेक मंत्रालयों के साथ मिलकर चलाया जा रहा एक कार्यक्रम है, जिसमें गहरे समुद्र की प्रौद्योगिकी के विकास पर जोर दिया गया है. इसके लिए राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा मत्स्य पनडुब्बी का विकास किया गया है. मत्स्य पनडुब्बी की सामान्य परिचालन स्थिति में 12 घंटे तक चलने की क्षमता है. साथ ही किसी आपात स्थिति में मानव सुरक्षा के लिए 96 घंटे तक चलने की क्षमता है. डीप ओशन मिशन के तहत तैयार इस पनडुब्बी में तीन लोग समुद्र में 6 हजार मीटर अंदर तक जाकर भारत के लिए संभावनाओं की तलाश कर समुंद्र की संसाधनों की जानकारी जुटाएंगे. हिंद महासागर की ब्लू इकोनॉमी को विकसित करने के प्रयास के क्रम में भारत ‘नीली क्रांति’ के साथ मछली उत्पादन में भी उत्साहजनक वृद्धि प्राप्त कर रहा है.

PM मोदी ने किया था लाल किले से जिक्र

पीएम मोदी ने 2021 और 2022 में स्वतंत्रता दिवस संबोधन में डीप ओशन मिशन का जिक्र किया था. इसको लेकर केंद्र ने पांच साल के लिए डीप ओशन मिशन के के लिए 4 हजार करोड़ रुपए से अधिक के बजट को मंजूरी दी है. अभियान का उद्देश्य केंद्र सरकार के ‘नए भारत’ के दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है जो विकास के 10 प्रमुख आयामों में से एक के रूप में नीली अर्थव्यवस्था को उजागर करता है. पीएम मोदी ने देश के किसानों की आय दोगुनी करने का संकल्प लिया था तो पहली बार ‘हरित क्रांति’ और ‘श्वेत क्रांति’ के साथ ‘नीली क्रांति’ यानि ‘ब्लू इकोनॉमी’ की बात की थी और सरकार तेजी से इस दिशा में आगे बढ़ रही है.

डीप ओशन मिशन से मजबूत होगी इकोनॉमी

गहरे समुद्र में खनन और खनिज संसाधनों की खोज के लिए इस मिशन की शुरुआत की गई है. इसमें प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ 6,000 मीटर पानी की गहराई के लिए मानवयुक्त सबमर्सिबल का विकास शामिल है. यह मिशन गहरे समुद्र के स्थितियों जीवन अनुकूल अनु जैविक संघटकों का अध्ययन करेगा, जो पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति पर प्रकाश डालने का प्रयास करेगा. यह अध्ययन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से किया जा रहा है. डीप ओशन मिशन की गतिविधियों से हिंद महासागर की ब्लू इकोनॉमी की क्षमता को विकसित करने में मदद मिलेगी.

क्या होती है ब्लू इकोनॉमी ?

भारत के व्यापार का बड़ा हिस्सा समुद्री मार्ग के जरिए होता है. ऐसे में इस योजना का उद्देश्य देश की अर्थव्यवस्था को समुद्री क्षेत्र से जोड़ना है. ब्लू इकोनॉमी का वियस पर्यावरण के अनुरूप यानि पूरा बिजनेस मॉडल पर्यावरण को ध्यान में रखकर बनाया जाता है. नीली अर्थव्यवस्था भारत के आर्थिक विकास कार्यक्रम का महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि भारत का 95 प्रतिशत से अधिक का कारोबार समुद्र के जरिए होता है. भारत सरकार के महत्वाकांक्षी सागरमाला कार्यक्रम से भारत में समुद्र के जरिये सामान के आवागमन तथा बंदरगाह के विकास में क्रांति आएगी. इस कार्यक्रम के तहत 600 से अधिक परियोजनाओं की पहचान की गई है, जिनमें लगभग 8 लाख करोड़ रुपये का भारी निवेश होगा.

भारत की समुद्री स्थिति

दुनिया में भारत की समुद्री स्थिति अद्वितीय है. भारत के तीन किनारे महासागरों से घिरे हैं और देश की लगभग 30 प्रतिशत आबादी इन्हीं तटीय क्षेत्रों में रहती है. कुल 7,517 किमी लंबी तट रेखा पर भारत के नौ तटीय राज्यों और 1,382 द्वीपों का आवास है. इसी के मद्देनजर, देश के लिए हिंद महासागर क्षेत्र के रणनीतिक महत्व को देखते हुए यह मिशन, भारत को दक्षिण एशिया क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद करेगा.