Indian Railways Bungalow Peon: रेलवे ने बंद की दशकों पुरानी परंपरा, अब नहीं होगी ‘बंगला चपरासी’ के पद पर भर्ती

भारतीय रेलवे ने औपनिवेशिक युग से जारी खलासी सिस्टम बंद करने का फैसला लिया है. इसके तहत वरिष्ठ अधिकारियों के आवासों पर टेलीफोन अटेंडेंट सह डाक खलासी (टीएडीके) के रूप में कर्मचारी की तैनाती नहीं की जाएगी.

इंडियन रेलवें (Photo Credits: Wikimedia Commons)

नई दिल्ली: भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने औपनिवेशिक युग से जारी खलासी सिस्टम बंद करने का फैसला लिया है. इसके तहत वरिष्ठ अधिकारियों के आवासों पर टेलीफोन अटेंडेंट सह डाक खलासी (टीएडीके) के रूप में कर्मचारी की तैनाती नहीं की जाएगी. यह पद "बंगला चपरासी" (Bungalow Peon) के नाम से भी जाना जाता है, जिसे अब रेलवे ने समाप्त करने का निर्णय लिया है.

मिली जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय परिवहन ने तत्काल प्रभाव से टीएडीके (TADK) में नई नियुक्ति करने पर पर रोक लगा दी है. 6 अगस्त को जारी एक आदेश में रेलवे बोर्ड ने कहा है कि टेलीफोन अटेंडेंट-कम-डाक खलासी (टीएडीके) के पद की समीक्षा की जा रही है. आदेश में कहा गया है “1 जुलाई 2020 से ऐसी नियुक्तियों के लिए अनुमोदित सभी मामलों की समीक्षा की जा सकती है और बोर्ड को सलाह दी जा सकती है. इसका अनुपालन सभी रेलवे प्रतिष्ठानों में सख्ती से किया जाए.” नए अयोध्या स्टेशन के पहले चरण का निर्माण कार्य जून 2021 तक पूरा हो जाएगा: भारतीय रेलवे

भारतीय रेलवे टीएडीके को शुरुआती 120 दिनों की सेवा के बाद ग्रुप डी श्रेणी में अस्थायी कर्मचारी के रूप में मानती है. तीन साल की नौकरी पूरी होने पर स्क्रीनिंग टेस्ट के बाद पद को स्थायी माना जाता है.

बंगला चपरासी को रेलवे अधिकारियों के आवासों पर तैनात किया जाता है जो मुख्य तौर पर टेलीफोन कॉल उठाने और कार्यालय से घर तक फाइलें ले जाने जैसे काम करता है. पिछले इन वर्षों से इस बात पर चिंता जताई जा रही थी की बंगला चपरासी से अधिकारी अपना घर का काम भी करवा रहे है.

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