Indian Railways: भारतीय रेलवे कोच उत्पादन बना 'मेक इन इंडिया' पहल का बड़ा प्रमाण, 91.6% की हुई वृद्धि

भारतीय रेलवे ने देश में कोच उत्पादन में बड़ा मुकाम हासिल किया है. दरअसल भारतीय रेलवे ने पिछले आठ वर्षों में रेल कोच उत्पादन में 91.6% की अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की है. इसे 'मेक इन इंडिया' पहल का सर्वोत्तम उदाहरण बताया जा रहा है. केवल इतना ही नहीं, स्वयं पीएम मोदी तक इसकी तारीफ कर चुके हैं. Indian Railways Data Breach: रेलवे का डेटा लीक! जानें कितने में Dark Web पर बिक रहा करोड़ो यूजर्स का नाम-नंबर

PM मोदी ने की सराहना

PM मोदी ने ट्वीट करते हुए कोच उत्पादन में नई ऊंचाइयों के लिए भारतीय रेलवे की जमकर सराहना की है. पीएम मोदी ने पिछले आठ वर्षों में कोच उत्पादन में नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने के लिए भारतीय रेलवे की सराहना की है. भारतीय रेलवे के एक ट्वीट पर पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय रेलवे का उत्कृष्ट रुझान 130 करोड़ भारतीयों की ताकत और कौशल के साथ-साथ आत्मनिर्भर बनने के संकल्प को दर्शाता है.

2021-22 में 7 हजार 151 कोचों का हुआ निर्माण

उल्लेखनीय है कि भारतीय रेलवे ने मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत पिछले 8 वर्षों में कोच उत्पादन के मामले में 91.6 प्रतिशत से अधिक की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की है. 2014-15 में कुल 3 हजार 731 कोच का निर्माण किया गया. 2021-22 में यह आंकड़ा 7 हजार 151 पर पहुंच गया.

आत्मनिर्भर बनने के संकल्प को मिल रही मजबूती

भारतीय रेलवे ने देश में कोच उत्पादन को ऐसी तेजी प्रदान की है कि जिससे राष्ट्र के आत्मनिर्भर बनने के संकल्प को प्रतिदिन मजबूती मिल रही है. आज भारत न केवल अपने लिए बल्कि विश्व के अन्य देशों के लिए भी रेल कोच का निर्माण कर रहा है. इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी काफी लाभ प्राप्त हो रहा है. केवल इतना ही नहीं भारतीय रेलवे पुराने रेलवे कोच को समय के साथ अपग्रेड करने का महत्वपूर्ण कार्य भी कर रही है.

भारतीय रेलवे की उत्पादन इकाइयां

बताना चाहेंगे कि भारतीय रेलवे अपने सभी उपकरणों के निर्माण पूरी तरह से स्वतंत्र रूप से करता है. भारतीय रेलवे की उत्पादन इकाइयों में इंटीग्रल कोच फैक्‍टरी (ISF), चेन्नई, कपूरथला स्थित रेल कोच फैक्‍टरी (RCF), रायबरेली स्थित मॉडर्न कोच फैक्‍टरी (MCF), चित्तरंजन स्थित चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (CLW), वाराणसी स्थित बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (BLW), पटियाला स्थित पटियाला लोकोमोटिव वर्क्स (PLW), बेंगलुरु स्थित रेल व्हील फैक्‍टरी (RWF) और बेला स्थित रेल व्हील प्लांट आदि बेहतरीन रिकॉर्ड उत्पादन हासिल कर चुके हैं.

कोविड के दौरान भी होता रहा रेलवे उत्पादन

इसी प्रकार रेलवे की सभी उत्पादन इकाइयां उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं. वे भारतीय रेलवे की इंजन और सवारी डिब्बों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए आपूर्ति कर रही हैं. सभी उत्पादन इकाइयों को नवीनतम एम एंड पी, शेड और सुविधाओं के रूप में आधुनिकीकरण के लिए निवेश मिलना जारी है. यहां तक कि कोविड के दौरान भी, रेलवे उत्पादन जारी रहा. इसमें रेल उत्पादन इकाइयों ने कोविड के लिए निर्धारित मानदंडों का पालन करते हुए कोचों का उत्पादन करके रेलवे क्षेत्र को सहयोग देना जारी रखा.

कोच निर्माण इकाइयां

बता दें, आईसीएफ, आरसीएफ और एमसीएफ कोच निर्माण इकाइयां हैं जो वंदे भारत, एलएचबी, ईएमयू, एमईएमयू, विस्टाडोम और अन्य अत्याधुनिक कोच बना रही हैं. यह श्रेय आईसीएफ को जाता है जिसने पहला स्वदेशी ट्रेनसेट केवल 18 महीनों में डिजाइन और निर्मित किया था. इसे T18 कहा जाता है. ऐसी दो ट्रेनें पहले से ही दिल्ली-वाराणसी और दिल्ली-कटरा के बीच चल रही हैं. अब देश में कुल 7 वंदे भारत चल रही है. पीएम मोदी की परिकल्पना के मुताबिक भारतीय रेल ने देश में 75 वंदे भारत ट्रेन शुरू करने का संकल्प लिया है जिसे वह हर हाल में पूरा करके रहेगी.

लोकोमोटिव निर्माण इकाइयां

सीएलडब्‍ल्‍यू, बीएलडब्‍ल्‍यू और पीएलडब्‍ल्‍यू लोकोमोटिव निर्माण इकाइयां हैं. आज वे उन्नत इलेक्ट्रिक इंजन यानी डब्‍ल्‍यूएजी9 और डब्‍ल्‍यूएपी7 का निर्माण कर रही हैं. इसके अलावा आरडब्‍ल्‍यूएफ और आरडब्‍ल्‍यूपी पहियों और पहियों का उत्पादन करने वाली इकाइयां हैं, जो हर प्रकार के इंजन और सवारी डिब्‍बों की आपूर्ति कर रही हैं. रेल व्हील प्लांट बेलापुर और रेल व्हील फैक्‍टरी येहलांका ने मिलकर इस वित्तीय वर्ष 2022-23 (अगस्त तक) में 92,118 पहियों का उत्पादन किया, जो 2021-22 की इसी अवधि के दौरान उत्‍पादन किए गए पहियों की तुलना में 6.5 गुना अधिक रहा. इसी प्रकार रेल एक्‍सल का उत्‍पादन भी 7 प्रतिशत बढ़ा. पिछले 8 वर्षों में कोच उत्पादन के मामले में 91.6 प्रतिशत से अधिक की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज कर आज रेलवे अपनी आगे की विकास यात्रा तय कर रही है. भारत सरकार की अगले 10 वर्षों में रेलवे की मालभाड़ा बाजार हिस्सेदारी को वर्तमान के 28 प्रतिशत से 40 प्रतिशत तक ले जाने की महत्वाकांक्षी योजना है.