पहली बार यूक्रेन जाएंगे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के कई हफ्तों बाद, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 अगस्त को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जलेंस्की से मिलने यूक्रेन का दौरा करेंगे.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के कई हफ्तों बाद, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 अगस्त को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जलेंस्की से मिलने यूक्रेन का दौरा करेंगे.यूक्रेन में रूसी आक्रमण के बाद पहली बार भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन यात्रा पर जा रहे हैं. इसकी घोषणा सोमवार को नई दिल्ली में विदेश मंत्री ने की. इससे पहले जुलाई में मोदी रूस गए थे जहां उन्होंने यूक्रेन युद्ध के बाद पहली बार राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी.

जेलेंस्की के दफ्तर ने भी इस यात्रा की पुष्टि की है, जो मोदी के दो दिवसीय पोलैंड दौरे के बाद होगी. यूक्रेन ने कहा कि मोदी और जेलेंस्की द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग पर चर्चा करेंगे और कई समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे, लेकिन कोई विवरण नहीं दिया गया.

भारत की तटस्थता

भारत ने यूक्रेन युद्ध पर तटस्थ रुख बनाए रखा है. हालांकि उसने रूस पर प्रतिबंध लगाने में पश्चिम का साथ नहीं दिया और बार-बार संघर्ष को हल करने के लिए दोनों पक्षों से बातचीत करने का अनुरोध किया है. भारत पश्चिमी देशों और रूस दोनों के साथ अच्छे संबंध बनाए हुए है लेकिन पश्चिमी देशों की आपत्तियों के बावजूद युद्ध शुरू होने के बाद से उसने रूस से तेल का आयात बढ़ा दिया है.

क्या भारत सचमुच ‘विश्वमित्र’ बन गया है?

भारत सैन्य उपकरणों के लिए रूस पर बहुत हद तक निर्भर है. हालांकि पिछले कुछ सालों में उसने उस निर्भरता को कम करने की कोशिश की है.

नरेंद्र मोदी जब रूस गए थे तो जेलेंस्की ने उनकी यात्रा की आलोचना की थी. यह यात्रा पुतिन के राष्ट्रपति के रूप में दोबारा चुने जाने के तुरंत बाद हुई और रूस में इसे दोनों देशों के बीच संबंधों को महत्व देने के संकेत के रूप में देखा गया. उस समय मोदी और पुतिन के गले मिलने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थीं.

भारत-यूक्रेन संबंधों का इतिहास

भारत ने सोवियत संघ के विघटन के बाद दिसंबर 1991 में यूक्रेन की स्वतंत्रता को मान्यता दी. इसके बाद 17 जनवरी 1992 को दोनों देशों के बीच औपचारिक रूप से राजनयिक संबंध स्थापित हुए. भारत ने 1992 में कीव में अपना दूतावास खोला, जबकि यूक्रेन ने 1993 में नई दिल्ली में अपना दूतावास खोला.

बीते वर्षों में दोनों देशों के बीच कई उच्च स्तरीय दौरे हुए हैं. 2002 में भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने यूक्रेन का दौरा किया, जो द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण क्षण था. यूक्रेन के नेता भी भारत आए हैं, जहां व्यापार, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर चर्चा हुई. अप्रैल में यूक्रेन के विदेश मंत्री ने भारत का दौरा कियाथा.

भारत और यूक्रेन ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों में आमतौर पर एक-दूसरे का समर्थन किया है. हालांकि, यूक्रेन से जुड़े संघर्षों, विशेष रूप से रूस-यूक्रेन तनाव के मामले में, भारत ने अपने रूस के साथ घनिष्ठ संबंधों के कारण तटस्थ रुख बनाए रखा है.

द्विपक्षीय व्यापार दोनों देशों के संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है, विशेष रूप से कृषि, दवाइयों, मशीनरी और रसायनों के क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच काफी व्यापार होता है. भारतीय कंपनियों ने यूक्रेन में, विशेष रूप से दवाइयों और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में निवेश किया है.

भारत और यूक्रेन ने रक्षा क्षेत्र में भी सहयोग किया है. यूक्रेन ने भारत को सैन्य उपकरणों की सप्लाई की है, जिसमें भारतीय सैन्य विमानों और टैंकों का आधुनिकीकरण शामिल है.

भारत के छात्र बड़ी संख्या में पढ़ाई करने यूक्रेन जाते हैं. खासकर चिकित्सा के क्षेत्र में पढ़ाई के लिए यूक्रेन एक लोकप्रिय जगह रही है और हजारों भारतीय छात्र यूक्रेन के विश्वविद्यालयों में पढ़ते हैं.

हालिया घटनाक्रम

फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद दोनों देशों के बीच कुछ तनाव रहा है. रूस-यूक्रेन संघर्ष ने भारत को एक नाजुक स्थिति में डाल दिया है, जहां उसे रूस के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों और यूक्रेन के साथ संबंधों के बीच संतुलन बनाना है. भारत ने शांति समाधान और बातचीत का अनुरोध किया है, लेकिन संघर्ष में किसी का पक्ष लेने से बचा है.

2022 में संघर्ष के शुरुआती चरणों में, भारत ने यूक्रेन से अपने हजारों नागरिकों, मुख्य रूप से छात्रों, को सफलतापूर्वक निकाला था. इसमें यूक्रेनी अधिकारियों का सहयोग भी मिला था. भारत ने संघर्ष के दौरान यूक्रेन को मानवीय सहायता जारी रखी है, जिसमें चिकित्सा उपकरण और अन्य आवश्यक वस्तुएं शामिल हैं.

रिपोर्टः विवेक कुमार (डीपीए)

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