आने वाले समय में भारतीय डॉक्टरों की डिमांड विश्व में और बढ़ने वाली है. आने वाले समय में भारतीय नर्सेस, भारतीय पैरामेडिकल स्टाफ की डिमांड पूरी दुनिया में बढ़कर रहेगी. इस दौरान भारतीय दवाइयां और भारतीय वैक्सीनों ने एक नया भरोसा हासिल किया है. इनकी बढ़ती डिमांड के लिए भी हमें अपनी तैयारी करनी होगी. हमारे मेडिकल एजुकेशन सिस्टम पर भी स्वाभाविक रूप से लोगों का ध्यान जाएगा और उस पर भरोसा और बढ़ेगा. आने वाले दिनों में दुनिया के और देशों से भी मेडिकल एजुकेशन के लिए भारत में पढ़ाई करने के लिए विद्यार्थियों के आने की संभावना भी बढ़ने वाली है और हमें इसे प्रोत्साहित भी करना चाहिए.
मेडिकल इक्विप्मेंट की वैश्विक डिमांड पूरी करने के लिए भी भारत को तेजी से करना होगा काम
पीएम मोदी ने कहा, कोरोना के दौरान हमने वेंटिलेटर और अन्य सामान बनाने में जो महारथ हासिल कर ली है इसकी वैश्विक डिमांड पूरी करने के लिए भी भारत को तेजी से काम करना होगा. क्या भारत ये सपना देख सकता है कि दुनिया को जिस-जिस आधुनिक मेडिकल इक्विप्मेंट की आवश्यकता है वो कॉस्ट इफेक्टिव कैसे बने, भारत ग्लोबल सप्लायर कैसे बने और अफोर्डेबल व्यवस्था होगी, सस्टेनेबल व्यवस्था होगी, यूज़र फ्रेंडली टेक्नोलॉजी होगी. मैं पक्का मानता हूं कि दुनिया की नजर भारत पर जाएगी और हेल्थ सेक्टर में तो नजर जरूर जाएगी.
स्वास्थ्य को लेकर हमारी सरकार होलिस्टिक (Holistic) अप्रोच के साथ बढ़ रही आगे
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा सरकार का बजट निश्चित तौर पर एक कैटलिक एजेंट होता है लेकिन बात तभी बनेगी जब हम सब मिलकर काम करेंगे. स्वास्थ्य को लेकर हमारी सरकार की अप्रोच पहले की सरकारों की सोच से जरा अलग है. इस बजट के बाद आप भी ये देख रहे होंगे कि जिसमें स्वच्छता, पोषण, वेलनेस, आयुष की हेल्थ प्लानिंग होगी, ये सारी चीजें एक होलिस्टिक अप्रोच के साथ आगे बढ़ा रहे हैं. यही वो सोच है जिसकी वजह से पहले हेल्थ सेक्टर को आमतौर पर टुकड़ों में देखा जाता था और टुकड़ों में ही उसे हेंडल किया जाता था. हमारी सरकार हेल्थ इश्यूज को टुकड़ों की बजाय एक होलिस्टिक तरीके, एक इंटीग्रेटेड अप्रोच की तरह से और एक फोकस तरीके से देखने का प्रयास कर रही है. इसलिए हमने देश में सिर्फ ट्रीटमेंट ही नहीं बल्कि वेलनेस पर फोकस करना शुरू किया. हमने प्रिवेंशन से लेकर क्योर तक एक इंटीग्रेटेड अप्रोच अपनाई है.
भारत को स्वस्थ रखने के लिए चार मोर्चो पर एक साथ कर रहे हैं काम
पीएम मोदी ने कहा, भारत को स्वस्थ रखने के लिए हम चार मोर्चो पर एक साथ काम कर रहे हैं. पहला मोर्चा, बीमारियों को रोकने (प्रिवेंशन ऑफ इलनेस) और प्रमोशन ऑफ वेलनेस, स्वच्छ भारत अभियान हो, योग पर फोकस हो, पोषण से लेकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों को सही समय पर केयर और ट्रीटमेंट, शुद्ध पीने का पानी पहु्ंचाने का प्रयास हो ऐसे हर उपाय इसका हिस्सा है. दूसरा मोर्चा, गरीब से गरीब को सस्ता और प्रभावी इलाज देने का है. आयुष्मान भारत योजना और प्रधानमंत्री जनऔषधी केंद्र जैसी योजनाएं यही काम कर रही हैं.
तीसरा मोर्चा, हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स की क्वांटिटी और क्वालिटी में बढ़ोतरी करना. बीते 6 साल से एम्स और इस स्तर के दूसरे सस्थानों का विकास देश के दूर-सुदूर के राज्यों तक किया जा रहा है. देश में ज्यादा से ज्यादा मेडिकल कॉलेज बनाने के पीछे भी यही सोच है.
चौथा मोर्चा, समस्याओं से पार पाने के लिए मिशन मोड पर फोकस तौर पर और समय सीमा में हमें काम करना है. मिशन इंद्रधनुष का विस्तार देश के आदिवासी और दूर-दराज के इलाकों तक किया गया है. देश से टी.बी के खिलाफ जंग और टी.बी को खत्म करने के लिए 2025 तक लक्ष्य रखा है जबकि दुनिया ने 2030 तक का लक्ष्य रखा है. टी.बी भी एक प्रकार से इफेक्टेड पर्सन के ड्रॉपलेट्स से ही फैलती है. टी.बी की रोकथाम में भी मास्क पहनना, अर्ली डाइग्नोसिस और ट्रीटमेंट ये सभी बाते अहम हैं. ऐसे में कोरोना काल में हमें जो अनुभव मिल है जो एक प्रकास से हिंदुस्तान के कॉमन मैन तक पहुंच चुका है अब हमारी उसी प्रेक्टिसिस को हम टी.बी के क्षेत्र में भी उसी मोड में काम करेंगे तो टी.बी से हमें जो लड़ाई लड़नी है बहुत आसानी से जीत सकते हैं.