नई दिल्ली: हाल ही में यूके मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि लंदन जाने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट के एक ब्रिटिश यात्री के परिवार को गलत शव सौंप दिया गया, जिससे उन्हें अंतिम संस्कार की प्रक्रिया बीच में ही रोकनी पड़ी. इस मामले पर भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "हमने रिपोर्ट देखी है और जैसे ही यह मामला हमारे संज्ञान में आया, हम UK की संबंधित एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं." उन्होंने कहा कि मृतकों की पहचान स्थापित तकनीकी मानकों और प्रोटोकॉल के अनुसार की गई थी, और सभी अवशेषों को पूर्ण गरिमा और व्यवसायिकता के साथ हैंडल किया गया.
वकील का दावा: "परिवारों को जवाब चाहिए"
ब्रिटिश वकील जेम्स हीली-प्रैट, जो पीड़ित परिवारों की ओर से इस मामले में काम कर रहे हैं, उनका कहना है, "कुछ परिवारों को गलत अवशेष (Air India 171 Wrong DNA) सौंपे गए हैं, और यह स्थिति बेहद दर्दनाक है. कई परिवार अब तक किसी का अंतिम संस्कार नहीं कर पाए हैं क्योंकि उन्हें नहीं पता कि ताबूत में कौन है."
उन्होंने बताया कि संबंधित परिवार प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्री और सांसदों से संपर्क में हैं, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लंदन यात्रा से पहले जवाब की मांग कर रहे हैं.
शवों की पहचान में थी भारी चुनौती
रिपोर्ट के अनुसार, एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 ने 12 जून को अहमदाबाद से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद एक मेडिकल हॉस्टल से टकराकर क्रैश कर गई थी. हादसे में 242 में से 241 यात्री, और ज़मीन पर मौजूद 19 अन्य लोग मारे गए.
हादसे में कई शव झुलस चुके थे, जिससे उनकी पहचान कर पाना कठिन हो गया. इसलिए कुछ शवों की पहचान डीएनए जांच और कुछ की डेंटल रिकॉर्ड से की गई.
एयर इंडिया ने क्या कहा?
भारतीय सूत्रों के अनुसार, सभी शव अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में डीएनए जांच के बाद सीलबंद ताबूतों में सौंपे गए. एयर इंडिया का दावा है कि उसकी कोई सीधी भूमिका शवों की पहचान में नहीं थी, वह केवल सपोर्टिंग एजेंसी (Kenyons International Emergency Services) के ज़रिये परिजनों की मदद कर रही थी.













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