भारत ने गैर-बासमती चावल के निर्यात को दिखाई हरी झंडी
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

भारत ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है. औसत से बेहतर मॉनसून के बाद अच्छी फसल की संभावनाओं को देखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है.भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है. 2022 में दुनिया में चावल का जितना भी निर्यात हुआ उसका 40 फीसदी भारत से आया और उसने कुल 2.22 करोड़ मीट्रिक टन चावल दुनिया के 140 से ज्यादा देशों को निर्यात किया. लेकिन 2023 में सरकार ने चावल के निर्यात पर कई पाबंदियां लगा दीं ताकि सामान्य कम बारिश के बाद घरेलू बाजार में चावल के दामों को नियंत्रण में रखा जा सके. ये पाबंदियां इस साल हुए आम चुनावों के नतीजे आने तक जारी रहीं.

भारत में निर्यात पर बैन से पाकिस्तान को भारी फायदा

अब सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात को हरी झंडी दिखा दी है क्योंकि उसके भंडार बढ़ रहे हैं और किसान आने वाले हफ्तों में नई फसल काटने की तैयार कर रहे हैं. व्यापारियों का कहना है कि भारत की तरफ से बड़े पैमाने पर निर्यात से दुनिया भर में चावल की आपूर्ति बेहतर होगी और ये इसके अन्य बड़े उत्पादकों जैसे पकिस्तान, थाईलैंड और वियतनाम को दाम कम करने के लिए मजबूर करेगा. भारत ने गैर-बासमती सफेद चावल के लिए प्रति मीट्रिक टन 490 डॉलर का न्यूनतम दाम तय किया है. इससे पहले सरकार ने सफेद चावल पर निर्यात टैक्स को घटाकर शून्य कर दिया.

किसानों की आय बढ़ेगी

व्यापारियों को गैर-बासमती सफेद चावल बेचने की अनुमति देना भारत सरकार की तरफ से उन कदमों का हिस्सा है जो प्रीमियम, सुगंधित बासमती और परबोइल्ड यानी उसना चावल के निर्यात पर लगी पाबंदियों में ढील देने के लिए उठाए गए हैं. शुक्रवार को भारत ने उसना चावल पर निर्यात शुल्क को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया.

इसी महीने सरकार ने बासमती चावल के निर्यात पर लागू न्यूनतम मूल्य को भी हटा दिया, ताकि उन हजारों किसानों की मदद की जा सके जो अपना चावल यूरोप, मध्य पूर्वण और अमेरिका जैसे आकर्षक बाजारों में नहीं बेच पा रहे थे.

2023 में चावल के निर्यात पर बैन लगने के बाद घरेलू आपूर्ति मजबूत हुई और सरकारी गोदामों में चावलों का ढेर बढ़ने लगा. आंकड़े बताते हैं कि भारतीय खाद्य निगम के भंडारों में एक सितंबर तक 3.23 करोड़ मीट्रिक टन चावल मौजूद था जो इसके एक साल पहले के मुकाबले 38.6 प्रतिशत ज्यादा है. इस स्थिति में सरकार के पास निर्यात पर लगी पाबंदियों में छूट देने के पर्याप्त कारण हैं.

इस साल मॉनसून की अच्छी बारिश को देखते हुए भारतीय किसानों ने 4.135 करोड़ हेक्टेयर जमीन पर चावल लगाया है जबकि पिछले साल 4.045 करोड़ हेक्टेयर पर चावल की फसल लगी थी.

चावल का बाजार

भारत ने 2022 में चावल का जितना निर्यात किया, वो उसके बाद चार सबसे बड़े चावल निर्यातकों थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और अमेरिका के कुल निर्यात से भी ज्यादा था. भारत के गैर-बासमती चावल के सबसे बड़े खरीददारों में बेनिन, बांग्लादेश, अंगोला, कैमरून, जिबूती, गिनी, आइवरी कोस्ट, केन्या और नेपाल शामिल हैं. वहीं ईरान, इराक और सऊदी अरब ज्यादातर भारत से प्रीमियम बासमती खरीदते हैं.

चावल के निर्यात पर 2023 में लगाई गई पाबंदियों के कारण भारत के निर्यात में 20 फीसदी की गिरावट आई जबकि 2024 के पहले सात महीनों में हुआ निर्यात इसके एक साल पहले के मुकाबले 25 फीसदी कम रहा. भारत की तरफ से निर्यात घटने के बाद एशियाई और अफ्रीकी खरीददारों ने थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और म्यांमार से चावल खरीदा. एकदम से मांग बढ़ने के कारण इन देशों में निर्यात के दाम 15 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गए.

नई दिल्ली में चावल के एक व्यापारी राजेश पहाड़िया कहते हैं कि गैर-बासमती चावल के निर्यात को मंजूरी देने से ग्रामीण किसानों की आमदनी में इजाफा होगा और भारत को विश्व बाजार में अपनी स्थिति वापस हासिल करने में मदद मिलेगी. वहीं, चावल निर्यात संघ के अध्यक्ष बीवी कृष्ण राव कहते हैं कि परबॉइल्ड चावल में 10 प्रतिशत निर्यात टैक्स और 490 डॉलर प्रति मीट्रिक टन के न्यूनतम दाम के बावजूद भारत के सफेद चावल को अंतरराष्ट्रीय बाजार में मुकाबला करना होगा.

एके/एसके (रॉयटर्स)