Maharashtra Population 2025: जनसंख्या बढ़ोत्तरी के मामले में महाराष्ट्र आगे, राज्य के स्टेट इकॉनोमिक सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े

मार्च 2025 तक महाराष्ट्र की आबादी 12.8 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है. इनमें काम करनेवाले और बुजुर्गो की संख्या बढ़ रही है. शहरीकरण की प्रवृत्ति राज्य की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को आकार दे रही है.

Maharashtra Population 2025: महाराष्ट्र के आर्थिक सर्वेक्षण में प्रस्तुत चौंकाने वाले आंकड़ों और अनुमानों के अनुसार, यह राज्य देश में शहरीकरण और जनसांख्यिकीय परिवर्तन के मामले में अग्रणी राज्यों में से एक होगा.सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2025 में महाराष्ट्र की जनसंख्या 12.8 करोड़ (Maharashtra Population 2025) तक पहुंचने की संभावना है.यह वृद्धि 2011 की जनगणना में दर्ज 11.2 करोड़ से अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है.

आज उत्तर प्रदेश देश का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है.इसके बाद महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर आने की कगार पर है. चौंकाने वाली बात यह है कि राज्य में वृद्ध आबादी और कामकाजी आबादी की संख्या बढ़ रही है.लेकिन, उसकी तुलना में नवजात बच्चों की संख्या कम हो रही है. इसका मतलब यह है कि भविष्य में जन्म दर में भी कमी आने की संभावना बढ़ गयी है.ये भी पढ़े:Third Mumbai Gets Maha Govt’s Approval: मुंबई में बनेगा तीसरा महानगर, महाराष्ट्र सरकार ने मेट्रोपोलिटन रीजन के विकास के लिए ‘थर्ड मुंबई’ को दीं मंजूरी

जनसंख्या में परिवर्तन: कामकाजी और बुजुर्ग आबादी में वृद्धि 2026 तक अनुमानित जनसांख्यिकीय रुझान

टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि 2036 तक, कामकाजी उम्र की आबादी महाराष्ट्र की कुल आबादी का 66.2% होने की उम्मीद है, जबकि निर्भरता अनुपात घटकर 33.8% होने का अनुमान है.जिनमें से 18.7% बच्चे और 17.1% बुजुर्ग होंगे. इस बदलाव से कामकाजी आबादी पर निर्भरता बढ़ेगी, जिसका असर आर्थिक नियोजन, स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक सुरक्षा नीतियों पर पड़ेगा.

शहरीकरण बढ़ रहा है: ग्रामीण-शहरी जनसंख्या अंतर कम हो गया है

जनसंख्या में दूसरे और भौगोलिक क्षेत्रफल में तीसरे स्थान पर रहने वाले महाराष्ट्र में भी तेजी से शहरीकरण हो रहा है. 2011 में ग्रामीण आबादी 6.2 करोड़ थी, जबकि शहरी आबादी 5.1 करोड़ थी.

2025 तक ग्रामीण आबादी 6.5 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है, जबकि शहरी आबादी बढ़कर 6.3 करोड़ होने का अनुमान है, जो ग्रामीण-शहरी विभाजन को कम करने का संकेत देता है. यह शहरी परिवर्तन बदलते जीवन स्तर, आर्थिक अवसरों और बुनियादी ढांचे और सार्वजनिक सेवाओं की बढ़ती मांग को रेखांकित करता है.

महाराष्ट्र के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण मुद्दे

बुजुर्गों की जनसंख्या: बढ़ती बुजुर्ग आबादी को मजबूत स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक सुरक्षा उपायों की आवश्यकता होगी.

कार्यबल वृद्धि: बढ़ती कार्यशील जनसंख्या के साथ, रोजगार सृजन और कौशल विकास महत्वपूर्ण होगा.

शहरी विस्तार:शहरी विकास को समायोजित करने के लिए बुनियादी ढांचे, आवास और नागरिक सुविधाओं में भारी निवेश की आवश्यकता होगी.

महाराष्ट्र का जनसांख्यिकीय विकास चुनौतियां और अवसर दोनों प्रस्तुत करता है, जिससे आने वाले वर्षों में सतत विकास के लिए रणनीतिक अनुकूलन और रणनीतिक योजना आवश्यक हो जाती है.इस पृष्ठभूमि में, राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा क्या नीतियां लागू की जाती हैं और राज्य के लोग एक नागरिक के रूप में इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं, यह जानने की उत्सुकता है.

 

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