महाराष्ट्र में अप्रैल-मई में होंगी एचएससी-एसएससी बोर्ड परीक्षाएं
महाराष्ट्र सरकार चालू शैक्षणिक वर्ष (2020-2021) के लिए एचएससी और एसएससी बोर्ड परीक्षाएं क्रमश: अप्रैल के बीच में और मई की शुरुआत में कराने की योजना बना रही है.
मुंबई, 4 जनवरी: महाराष्ट्र (Maharashtra) सरकार चालू शैक्षणिक वर्ष (2020-2021) के लिए एचएससी और एसएससी बोर्ड परीक्षाएं क्रमश: अप्रैल के बीच में और मई की शुरुआत में कराने की योजना बना रही है. शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ (Varsha Gaikwad) ने सोमवार को यह जानकारी दी है. गायकवाड़ ने रविवार देर रात ट्वीट कर कहा था, "हम 15 अप्रैल के बाद एचएससी परीक्षा और 1 मई के बाद एसएससी परीक्षा आयोजित करने पर विचार कर रहे हैं." मंत्री ने कहा कि सरकार कक्षा 5वीं से 8वीं के लिए स्कूलों को फिर से खोलने की संभावना को लेकर स्वास्थ्य अधिकारियों से सलाह ले रही है और जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा.
आम तौर पर महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एंड हायर सेकेंडरी एजुकेशन (एमएसबीएसएचएसई) फरवरी में एचएससी और उसके मार्च में एसएससी की परीक्षा आयोजित करता है. इस साल कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के कारण स्कूल 10 महीनों से बंद हैं और स्टूडेंट्स ऑनलाइन क्लासेस के जरिये पढ़ाई कर रहे हैं.
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मंत्री की घोषणा का समर्थन करते हुए मुंबई प्रिंसिपल एसोसिएशन (एमपीए) ने कहा है कि परीक्षाओं को और भी आगे बढ़ा दिया जाना चाहिए, क्योंकि छात्रों को इन महत्वपूर्ण परीक्षाओं की तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलेगा. एमपीए ने कहा है, "ऑनलाइन कक्षाएं ठीक हैं, लेकिन बहुत प्रभावी नहीं हैं. अब तक नियमित कक्षाओं के लिए स्कूलों को फिर से खोलने पर कोई निर्णय नहीं है. जनवरी-फरवरी 2021 में भी इसकी संभावना नहीं है."
एमपीए सचिव प्रिंसिपल प्रशांत रेडिज (Prashant Reddys) ने आईएएनएस को बताया, "छात्रों के पास परीक्षा की तैयारी के लिए केवल मार्च-अप्रैल का समय बचा है." वहीं शहरी क्षेत्रों के बहुत से लोग अभी भी अपने पैतृक गांवों में फंसे हुए हैं, इससे उनकी परीक्षा की तैयारी ठीक से नहीं हो पा रही है. रेडिज ने चिंता व्यक्त की है कि "इस साल एकेडमिक स्टैंडर्डस, छात्रों के प्रदर्शन और बोर्ड परिणामों में गिरावट देखी जा सकती है."
एमपीए के अनुमानों के अनुसार, राज्य में डेढ़ लाख से अधिक स्कूल हैं, जिनमें 1 करोड़ से अधिक छात्र हैं और उन्हें सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के लगभग 10 लाख शिक्षक पढ़ाते हैं. उधर माता-पिता और छात्रों को यह भी आशंका है कि लगातार दूसरे साल भी वे अपनी गर्मी की छुट्टियों का आनंद नहीं ले पाएंगे.