शिमला: हिमाचल प्रदेश ( Himachal Pradesh) के किन्नौर (Kinnaur Landslide) जिले में बुधवार को एक बस और अन्य वाहनों के भूस्खलन की चपेट में आने से मलबे में फंसे लोगों की तलाश एवं बचाव के लिए अभियान शुक्रवार तड़के 4 बजे फिर शुरू हुआ. भूस्खलन स्थल से अब तक 15 शव बरामद हुए हैं. जबकि रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. राष्ट्रपति कोविंद ने किन्नौर त्रासदी पर हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल, मुख्यमंत्री से बात की
राज्य की राजधानी से लगभग 180 किलोमीटर दूर निगुलसारी के पास शिमला-रेकांग पियो राजमार्ग के एक हिस्से पर हुए भूस्खलन में एक ट्रक, राज्य रोडवेज बस और अन्य वाहन दब गए थे. राज्य रोडवेज की बस का मलबा गुरुवार की सुबह बड़े पैमाने पर चल रहे राहत अभियान के तहत 500 मीटर गहरी खाई में गिरा हुआ पाया गया. मलबे से ढके 200 मीटर के दायरे में फंसे लोगों को निकालने के लिए कई एजेंसियों की मदद से बचाव अभियान जारी है.
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने गुरुवार को कहा कि हमारे अनुमान के मुताबिक करीब 16 लोग अब भी लापता हैं और बचाव अभियान जारी है. उन्होंने कहा कि राज्य प्रत्येक मृतक के परिजन को चार-चार लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये मुहैया कराएगा. उन्होंने कहा कि मृतक बस यात्रियों के परिजनों को भी एक-एक लाख रुपये प्रदान किए जाएंगे.
Kinnaur landslide: Search and rescue operations resumed at 4 am today after it was halted yesterday due to shooting stones.
Two more bodies retrieved from the rubbles this morning. A total of 15 bodies recovered by the search and rescue operations till now. #HimachalPradesh pic.twitter.com/FzCREi4z0B
— ANI (@ANI) August 13, 2021
राज्य आपदा प्रबंधन निदेशक सुदेश कुमार मोख्ता ने बताया कि मलबे में फंसे 15 लोगों को बचा लिया गया है. ज्यादातर पीड़ित किन्नौर जिले के हैं. राजमार्ग अभी भी यातायात के लिए बंद है.
हिमाचल सड़क परिवहन निगम की बस रिकांग पियो से शिमला होते हुए हरिद्वार जा रही थी. बाहर निकलने पर चालक और परिचालक बाल-बाल बच गए. बस चालक ने मीडिया को बताया कि जब उसने हाईवे पर चट्टानें गिरते हुए देखा तो उसने आपदा स्थल से ठीक पहले बस को रोक दिया और कुछ वाहन बस के पीछे आकर रुक गए.
ड्राइवर ने कहा कि वह कंडक्टर के साथ, स्थिति की गंभीरता का आकलन करने के लिए आगे बढ़े. उन्होंने कहा, जैसे ही हम 100 मीटर आगे बढ़े, हमने देखा कि पूरा पहाड़ कुछ ही सेकंड में लुढ़क गया और बस और अन्य वाहनों पर गिर गया. कुछ वाहन बोल्डर और मलबे के प्रभाव से खाई में लुढ़क गए.
प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि बुरी तरह क्षतिग्रस्त बस से पीड़ितों को निकालने में प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ी. बचावकर्मियों को पहाड़ पर चढ़ने और शवों को लाने में घंटों लग गए.
किन्नौर राज्य के सबसे दूरस्थ स्थानों में से एक है और जिले में यात्री बसों की कमी और कम फ्रीक्वेंसी के कारण यहां वाहनों की भीड़भाड़ होती है. किन्नौर में एक महीने से भी कम समय में यह दूसरी बड़ी प्राकृतिक आपदा है. इससे पहले 25 जुलाई को भी एक बड़ा भूस्खलन हुआ था और एक वाहन पर बोल्डर गिरने से नौ लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें अधिकतर पर्यटक थे. यह मानसून राज्य के कांगड़ा जिले में भी बड़े भूस्खलन का कारण बना है, जिसमें 10 लोगों की जान चली गई है.