हाई प्रोफाइल मुकदमों ने साल 2019 में मुंबई की अदालतों को रखा व्यस्त, विजय माल्या- नीरव मोदी को कोर्ट की कार्यवाही का करना पड़ा सामना, अजित पवार को राहत

करोड़ों रुपये के पीएमसी बैंक घोटाले सहित विभिन्न हाई-प्रोफाइल मुकदमों ने मुंबई की अदालतों को 2019 में खूब व्यस्त रखा और उद्योगपतियों विजय माल्या और नीरव मोदी को अदालतीअदालती कार्यवाही का करना पड़ा।

विजय माल्या, नीरव मोदी, अजित पवार (Photo Credits: PTI/Twitter/ANI)

मुंबई: करोड़ों रुपये के पीएमसी बैंक घोटाले (PMC Bank Scam) सहित विभिन्न हाई-प्रोफाइल मुकदमों ने मुंबई की अदालतों को 2019 में खूब व्यस्त रखा और उद्योगपतियों विजय माल्या (Vijay Mallya) और नीरव मोदी (Nirav Modi) को अदालती कार्यवाही का सामना करना पड़ा. अदालतों ने अलग-अलग वित्तीय अपराधों में संलिप्त और देश से भागे उद्योगपतियों विजय माल्या और नीरव मोदी को नये कानून के तहत भगोड़ा घोषित किया. दोनों फिलहाल ब्रिटेन में हैं. नए कानून, भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम के तहत अदालत ऐसे अपराधी की संपत्ति जब्त करने का आदेश दे सकती है.

धन शोधन और ऋण भुगतान नहीं करने के मामले में आरोपी माल्या मार्च 2016 में भारत छोड़कर भाग गया. जनवरी 2019 में विशेष धन शोधन निषेध कानून (पीएमएलए) के तहत अदालत ने उसे भगोड़ा वित्तीय आपराधी घोषित कर दिया. फिलहाल ब्रिटेन में रह रहे शराब कारोबारी ने विशेष अदालत के आदेश के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है. साथ ही अनुरोध किया है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों से कहा जाए कि उसकी संपत्ति जब्त नहीं की जाए. अदालत ने इसे मानने से इनकार कर दिया.

दिसंबर, 2019 में विशेष पीएमएलए अदालत ने हीरा कारोबारी मोदी को भी भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया. वह पंजाब नेशनल बैंक के करोड़ों रुपये के घोटाले में मुख्य आरोपी है.

ब्रिटेन की जेल में बंद मोदी और उसके उद्योगपति मामा मेहुल चोकसी पर आरोप है कि उन्होंने पीएनबी के कुछ कर्मचारियों के साथ मिलकर बैंक से 13,400 करोड़ रुपये का घोटाला किया है.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चोकसी को भी भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने के लिए विशेष अदालत में अर्जी दी है. चोकसी फिलहाल कैरेबियाई देश एंटीगुआ में है.

सितंबर, 2019 में ईडी ने विवादित इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक को भी भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने का अनुरोध किया था. फिलहाल मलेशिया में रह रहे नाइक पर 193 करोड़ रुपये के धन शोधन का आरोप है. 53 वर्षीय उपदेशक पर जातीय घृणा वाला भाषण देने और आतंकवाद को बढ़ावा देने का भी आरोप है. नाइक और चोकसी को भगोड़ा वित्तीय अपराधी घोषित करने संबंधी दोनों याचिकाएं विशेष अदालत में लंबित हैं.

राज्य में एक और वित्तीय घोटाला पंजाब एवं महाराष्ट्र सहकारी बैंक (पीएमसी बैंक) में सामने आया. 4,355 करोड़ रुपये के इस घोटाले में जमाकर्ताओं की पूंजी डूब गई. न्याय और सहकारी देनदारों पर भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से लगे नियंत्रण को हटाने की मांग को लेकर खाताधारक सड़कों पर उतर आए.

बैंक के साथ कथित धोखाधड़ी के मामले में पीएमसी बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक जॉय थॉमस सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों, हाउसिंग एंड डेवेलॉपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिकटेड (एचडीआईएल) ग्रुप के प्रमोटर्स राकेश वाधवान और सारंग वाधवान को गिरफ्तार किया गया है. सभी के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया चल रही है. इस धोखाधड़ी का पता सितंबर में उस वक्त चला जब आरबीआई ने पाया कि 35 साल पुराने इस सहकारी बैंक ने लगभग दीवालिया हो चुकी एचडीआईएल को दिए गए 4,355 करोड़ रुपये का ऋण छुपाने के लिए कथित रूप से फर्जी खाते खोले हैं.

आरबीआई के मुताबिक, पीएमसी बैंक ने अपनी कोर बैंकिंग प्रणाली के साथ छेड़छाड़ करके एचडीआईएल सहित दिक्कत वाले 44 ऋण खातों को छुपाया। इस सभी खातों को सिर्फ कुछ ही कर्मचारी देख सकते थे. मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) और ईडी ने बाद में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया.  आरबीआई ने 23 सितंबर, 2019 को बैंक पर छह महीने के लिए कुछ पाबंदियां लगी दी. खाता धारकों को शुरुआत में अपने खाते से सिर्फ 1,000 रुपये निकालने की अनुमति थी जिसे धीरे-धीरे बढ़ाकर 50,000 रुपये किया गया.

वहीं एक ऐतिहासिक फैसले में बंबई उच्च न्यायालय ने सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय को दिए गए आरक्षण की संवैधानिक वैधता स्वीकार की. बहरहाल, अदालत ने सरकार को आरक्षण का प्रतिशत 16 प्रतिशत से घटा कर शिक्षा के क्षेत्र में 12 प्रतिशत और सरकारी नौकरियों में 13 प्रतिशत करने के आदेश दिए. पहले समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था.

उच्च न्यायालय भारतीय दंड संहिता की धारा में किए गए उस संशोधन की संवैधानिक वैधता स्वीकार की जिसके तहत बलात्कार के मामलों में आदतन अपराधियों को उम्रकैद या मौत की सजा सुनायी जा सकती है. अदालत ने मुंबई में 2013 में एक महिला फोटो पत्रकार के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के दोषियों में से तीन की ओर से दायर याचिका खारिज की. इन सभी को मौत की सजा सुनाई गई है. ये दोषी पहले भी एक कॉल सेंटर कर्मचारी के साथ बलात्कार करने के दोषी करार दिए गए थे.

जनवरी 2018 में हुई कोरेगांव भीमा हिंसा में संलिप्तता और कथित माओवादी संपर्क को लेकर पुणे पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब उच्च न्यायालय की विभिन्न पीठों ने उनके खिलाफ दर्ज आरोपों को खारिज करने और उन्हें जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया. अपने फैसलों में उच्च न्यायालय ने रेखांकित किया कि आरोपियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया साक्ष्य हैं. इन सभी के खिलाफ आतंकवाद विरोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधियां निरोध कानून (यूएपीए) और आईपीसी की धाराओं में मामले दर्ज किए गए हैं.

अदालत ने विधानसभा चुनावों के बाद नवंबर में महाराष्ट्र में नयी सरकार के गठन और शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस के साथ आने के मामलों में हस्तक्षेप करने से भी इनकार कर दिया.  21 अक्टूबर को परिणाम आने के बाद सरकार के गठन के लिए शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा के साथ आने के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई थीं. कुछ याचिकाओं में अनुरोध किया गया था कि अदालत भाजपा को निर्देश दे कि वह चुनाव पूर्व गठबंधन के अनुसार शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाए.

राज्य में गठबंधन सरकार की गठन के बाद भ्रष्टाचार निरोधी ब्यूरो (एसीबी) ने उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के समक्ष याचिका दायर कर कहा कि करोड़ों रुपये के सिंचाई घोटाले में उसे राकांपा नेता अजीत पवार के खिलाफ कोई आपराधिक जवाबदेही नहीं मिली. एसीबी ने कहा कि उसे अपनी जांच में विदर्भ सिंचाई विकास निगम (वीआईडीसी) की 12 परियोजनाओं में हुई कथित अनियमितताओं में बारामती से विधायक पवार की कोई संलिप्तता नहीं मिली. आरोप था कि वीआईडीसी के तत्कालीन अध्यक्ष पवार और अधिकारियों ने ठेकेदारों के साथ मिलकर परियोजनाओं के लिए निविदा जारी करने में गड़बड़ी की जिससे राजस्व का नुकसान हुआ. यह कथित घोटाला उस वक्त का है जब राज्य में कांग्रेस-राकांपा की सरकार थी और पवार के पास जल संसाधन विभाग का प्रभार था.

वहीं, नवंबर में नागपुर की एक अदालत ने भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को नोटिस जारी कर उनसे पूछा कि 2014 में दायर चुनावी हलफनामे में अपने खिलाफ दर्ज दो आपराधिक मामले को कथित रूप से सार्वजनिक नहीं करने को लेकर उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा क्यों ना चलाया जाए?

उच्च न्यायालय ने सितंबर 2006 में मालेगांव में हुए विस्फोटों के चार आरोपियों (सभी दक्षिणपंथी संगठनों के सदस्य) को जून में जमानत दी. एक कब्रिस्तान और एक मस्जिद के पास हुए विस्फोटों में 37 लोग मारे गए थे और 100 से ज्यादा घायल हुए थे. शुरुआत में इस संबंध में नौ मुसलमानों को गिरफ्तार किया गया था. बाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मामले की जांच अपने हाथ में ली और सभी मुसलमानों को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया. एजेंसी ने कहा कि ये विस्फोट दक्षिणपंथी उग्रपंथियों ने की थी.

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के स्वयं सेवक की ओर से दायर मानहानि के मुकदमे के सिलसिले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और भाकपा महासचिव सीताराम येचुरी मुंबई की एक अदालत में पेश हुए. दोनों ने स्वयं को निर्दोष बताते हुए मुकदमे का सामना करने की बात कही. दोनों नेताओं ने सितंबर 2017 में बेंगलुरु में हुई पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या को कथित रूप से आरएसएस से जोड़ने वाला बयान दिया था. इसी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था.

सितंबर, 2008 मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और अन्य के खिलाफ 2019 में भी सुनवाई जारी रही. पूर्व मीडिया मुगलों पीटर मुखर्जी और इन्द्राणी मुखर्जी तथा उसके पूर्व पति संजीव खन्ना के खिलाफ शीना बोरा हत्याकांड मामले में भी सुनवाई जारी रही.

इस साल अदालत से अनुभवी अभिनेता नाना पाटेकर को कुछ राहत मिली. पुलिस ने अदालत को बताया कि उसे अभिनेत्री तनुश्री दत्ता की ओर से दायर यौन शोषण के मामले में पाटेकर के खिलाफ मुकदमा चलाने लायक सबूत नहीं मिले हैं.

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