जब तक कोरोना वायरस (Coronavirus) की वैक्सीन नहीं आ जाती तब तक मास्क और हैंडवॉश ही सभी के लिए नेचुरल वैक्सीन है. ऐसे में मास्क से जुड़ी किसी भी अफवाह पर विश्वास मत करें. ऐसी सलाह चिकित्सा विशेषज्ञ ने दी है. दरअसल कुछ लोगों ने एंटी मास्क कैंपेन शुरू कर दिया है. ऐसे लोग कह रहे हैं कि कोरोना वायरस है ही नहीं, इसलिए मास्क लगाने की कोई जरूरत नहीं है. इस पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), नई दिल्ली के चिकित्सक डॉ. नीरज निश्चल (Dr. Neeraj Nischal) ने सलाह दी है कि ऐसी बातों के चक्कर में मत पड़ें.
प्रसार भारती ने विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि जब से वायरस आया है, तब से देखा जा रहा है कि वायरस से खुद को सुरक्षित रखने में सबसे ज्यादा प्रभावी मास्क ही है. ऐसे में जो लोग एंटी मास्क कैंपेन चला रहे हैं, उन्हें ऐसा लगता है कि मास्क लगाने से दम घुट जायेगा, सांस नहीं ले पायेंगे, या फ्रेश ऑक्सीजन नहीं लेने से सेहत खराब हो जायेगी, ये सभी अफवाहे हैं। वायरस अभी भी मौजूद है, लापरवाही करने या ऐसी बातों में पड़ने से खुद की और परिवार की जान खतरे में डाल सकते हैं. यह भी पढ़े: कोरोना महामारी: जानें एन95 मास्क का क्या मतलब है, बता रहे हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ
कोरोना से जुड़ी खबर के लिये सोशल मीडिया पर न जायें
सिर्फ मास्क को लेकर ही अफवाह नहीं है बल्कि सोशल मीडिया पर चर्चा है कि विशेषज्ञों का कहना है कि सितंबर में वायरस खत्म हो जायेगा. इस बारे में डॉ निश्चल ने बताया कि सोशल मीडिया के किसी भी प्लेट फार्म की खबर पर विश्वास न करें. अगर किसी को कोई भी जानकारी चाहिये तो सरकार की वेबसाइट पर जायें। एम्स, आईसीएमआर, स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर सही जानकारी उपलब्ध है. आप प्रसार भारती के किसी भी प्लेटफॉर्म पर विश्वसनीय जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. वायरस कब खत्म होगा इस बारे में अभी किसी ने कोई पुख्ता रूप से नहीं बताया है.
दूसरे देशों की तुलना में हमारे देश में मृत्यु दर कम
वहीं वायरस से लोगों की जान बचाने के लिये तमाम फ्रंट लाइन वर्कर्स कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जहां तक मृत्यु दर की बाच है, इसे समझ सकते हैं कि दूसरे देशों से जब तक वायरस भारत में आया, उससे पहले कई देशों में फैल चुका था. केंद्र सरकार ने जब लॉकडाउन किया, उस बीच हमने बहुत कुछ दूसरे देशों से सीख लिया. जिस तरह की लापरवाही से दूसरे देशों में मृत्यु दर बढ़ी, वैसी गलती हमारे देश ने नहीं की। इसके अलावा जो इम्युनिटी के बारे में कहा जा रहा है, वो भी एक कारण हो सकता है. हम वायरस को भी अब पहचान गये हैं, ये कैसे रिएक्ट करता है. उसी के आधार पर मरीज को अस्पताल में भर्ती किया जाता है.
कोविड से पूरी तरह ठीक होने में कितना लगेगा वक्त
इस दौरान कोविड से ठीक लोगों पर वायरस के प्रभाव और पूरी तरह से ठीक होने में समय लगने पर उन्होंने कहा कि वायरस से ठीक होने के बाद ही लोगों को अस्पताल से डिस्चार्जड किया जा रहा है। जो लोग गंभीर रूप से संक्रमित हुए उनके लंग्स में इंफेक्शन हुआ, उन्हें लेकर थोड़ा संदेह है। कई लोगों में ठीक होने के बाद भी कुछ परेशानी सामने आयी है. ऐसे लोग पूरी तरह कब तक ठीक होंगे, यह 6 महीने या एक साल बाद ही पता चलेगा। इसके अलावा कोविड वार्ड में कई दिन रहने से मानसिक प्रभाव भी पड़ता है, उससे उबरने में भी समय लग सकता है.