Good News: हरियाणा सरकार ने गन्ना किसानों को दिया बड़ा तोहफा, राज्य परामर्श मूल्य में हुई बढ़ोत्तरी
सीएम मनोहर लाल ने बताया कि चीनी मिलों को गन्ने की कीमत का भुगतान करने में भी हरियाणा अन्य राज्यों से आगे है. जहां वर्ष 2020-21 में हरियाणा में पूरी पेमेंट की जा चुकी है, वहीं पंजाब और उत्तर प्रदेश में अभी भी देनदारी शेष है.
चंडीगढ़: मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कुशल नेतृत्व में हरियाणा सरकार किसानों के उत्थान के लिए लगातार प्रयासरत है. चाहे किसानों की फसलों को हुए नुकसान की भरपाई हो या फसलों की अच्छी कीमत उपलब्ध कराना हो, सरकार हमेशा ही किसानों के साथ खड़ी है. इसी सोच का परिचय देते हुए सरकार ने पेराई सत्र 2022-23 के लिए गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) 362/- रुपए प्रति क्विंटल से 372/- रुपए प्रति क्विंटल बढ़ा दिया गया है. सरकार के इस फैसले से किसान काफी खुश हैं और इसके लिए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल का आभार जताया है.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा सरकार हमेशा ही गन्ना किसानों को सबसे ज्यादा राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) देती आई है. वर्ष 2019-20 में हरियाणा में गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) 340 रुपए था जबकि इसी दौरान पंजाब में 310 रुपए, उत्तर प्रदेश में 325 रुपए और उत्तराखंड में 326 रुपए प्रति क्विंटल दिया जा रहा था. वहीं वर्ष 2020-21 में हरियाणा में गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) 350 रुपए था जबकि पंजाब में यह मूल्य 310 रुपए, उत्तर प्रदेश में 325 रुपए और उत्तराखंड में 326 रुपए प्रति क्विंटल था. इसी तरह, 2021-22 में प्रदेश में गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) 362 रुपए निर्धारित किया गया था. इस दौरान हरियाणा के पड़ोसी राज्य पंजाब में गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) 360 रुपए, उत्तर प्रदेश में 350 रुपए और उत्तराखंड में 355 रुपए प्रति क्विंटल रहा.
सीएम मनोहर लाल ने बताया कि चीनी मिलों को गन्ने की कीमत का भुगतान करने में भी हरियाणा अन्य राज्यों से आगे है. जहां वर्ष 2020-21 में हरियाणा में पूरी पेमेंट की जा चुकी है, वहीं पंजाब और उत्तर प्रदेश में अभी भी देनदारी शेष है. इसी तरह 2021-22 की पेमेंट भी हरियाणा सरकार द्वारा की जा चुकी है, अब केवल पीडीसी की पेमेंट शेष है जो कि 17.94 करोड़ रुपए हैं जबकि इस पेराई सत्र में पंजाब की 37.04 करोड़ रुपए की देनदारी है. उन्होंने कहा कि गन्ना किसानों को प्रोत्साहित करने एवं सहकारी चीनी मिलों को मजबूत करने के लिए प्रदेश सरकार लगातार काम कर रही है. सहकारी चीनी मिलों में एथनॉल संयंत्र स्थापित कर विविधता लाने, चीनी मिलों में बिजली सह-उत्पादन, जैव उत्पादों जैसे शीरा, खोई, प्रेस मड आदि का व्यावसायिक उपयोग करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.